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- Yet The Red Cross, A Large Organization Of Disaster Management, Is Inactive, The Health Facilities Are Constantly Affected
कोरोना की दो लहर गुजरी, तीन कलेक्टर बदले:फिर भी आपदा प्रबंधन की बड़ी संस्था रेडक्रॉस निष्क्रिय, स्वास्थ्य सुविधाओं पर लगातार पड़ रहा असर
- तीसरी लहर से पहले संस्था को सक्रिय करने की जरूरत, तीन साल से भंग रेडक्रॉस, चेयरमैन का चुनाव भी जरूरी
कोरोना की दाे लहर गुजर चुकी है... इस दौरान तीन कलेक्टर भी बदल गए हैं लेकिन आपदा प्रबंधन के लिए बनी विशेष संस्था रेडक्रॉस ही निष्क्रिय पड़ी है। रेडक्राॅस सोसायटी 3 साल से भंग है लेकिन अब तक ना ही चुनाव हुए हैं ना ही किसी अन्य तरीके से संस्था के पुराने लोगों को सक्रिय किया गया है।
7 अगस्त 2018 को आखिरी समिति को भंग कर दिया था। जल्द ही चुनाव होने वाले थे लेकिन मामला आज भी वहीं अटका हुआ है। सोसायटी का ये हाल तब है जब इसमें कई प्रशासनिक अधिकारी पदेन पदाधिकारी होते हैं। पदेन अध्यक्ष खुद कलेक्टर रहते हैं। बस, सोसायटी का चेयरमैन चुनाव होता है। जबकि कोविड से निपटने के लिए कई अन्य वॉलेंटियर भी तैयार किए जा रहे हैं। तीसरी लहर से पहले रेडक्रॉस से जुड़े लोगों काे सक्रिय करना जरूरी है।
रेडक्रॉस का असर... कार्डियक एम्बुलेंस, टीबी हेल्पलाइन, सोनोग्राफी पर भी
- सोनोग्राफी : जिले में रेडक्रॉस के पास सोनोग्राफी मशीन है। अब तक 42 हजार सोनोग्राफी कर चुके हैं। सिर्फ 200 रुपए में रेडक्रॉस में सोनोग्राफी होती थी जो बंद है।
- टीबी वार्ड : टीबी वार्ड में रेडक्रॉस ने हेल्पलाइन बनाई थी। इनमें ऑक्सीजन सिलेंडर सहित अन्य इंस्ट्रूमेंट रहते थे। जरूरतमंद को मदद के लिए दिए जाते थे, इसकी राशि नहीं लेते थे।
- कार्डियक एम्बुलेंस : रेडक्रॉस ने 28 लाख रुपए से कार्डियक एम्बुलेंस खरीदी थी। सोसायटी भंग होने के बाद संचालन बिगड़ गया। अप्रैल 2018 में वेंटिलेटर खराब हो गया। जुलाई में समाजसेवियों ने 84 हजार रुपए दिए तब सितंबर 2018 में वेंटिलेटर सुधर सका था। एम्बुलेंस की व्यवस्था इसके बाद भी नहीं सुधरी, पूर्व चेयरमेन महेंद्र गादिया ने इसे लेकर कलेक्टर से भी मुलाकात की।
- रैबीज के इंजेक्शन और डायलिसिस का पंप रेडक्रॉस आधी कीमत में उपलब्ध करवाता था।
- दानदाता से रुपए इकट्ठा करने के लिए यह सोसायटी आगे रहती थी। इन्हीं रुपयों से प्रकल्प चलते थे।
रेडक्रॉस का सक्रिय होना जरूरी:
- कोरोना में रेडक्रॉस का सक्रिय होना बहुत जरूरी है।कलेक्टर से मुलाकात की है। ब्लड बैंक संचालित करने का भी कहा है। इसमें फंड की दिक्कत नहीं आने देंगे। बंद सोनोग्राफी शुरू करने को लेकर भी कलेक्टर ने अधिकारियों काे कहा है। -महेंद्र गादिया, पूर्व चेयरमैन, रेडक्रॉस
कोरोना काल में तीन कलेक्टर बदल गए
रुचिका चौहान - (3 अप्रैल 2018 से 21 अगस्त 2020)
इनका लंबा कार्यकाल रहा। रेडक्रॉस की समिति इनके कार्यकाल में ही भंग हो गई थी। इसके बाद चुनाव नहीं हुए। जब कोरोना की पहली लहर आई थी, तब कार्यकाल जारी था।
गोपाल चंद्र डाड - (24 अगस्त 2020 से 8 मई 2021)
रेडक्रॉस निष्क्रिय सा ही रहा। जब कोरोना की दूसरी आई थी, तब इनका कार्यकाल रहा। रेडक्रॉस के पुराने पदाधिकारियों ने मुलाकात कर चर्चा भी की।
कुमार पुरुषोत्तम - (9 मई 2021 से अब तक)
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम आए। अब संक्रमण काबू में आ चुका है। पूर्व पदाधिकारियों का कहना है चुनाव नहीं हो सकते, लेकिन संस्था को प्लानिंग से सक्रिय करना चाहिए।