रीवा में इन दिनों एक अफसर का वीडियो वाॅर चल रहा है। यहां औद्योगिक विकास निगम के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी कार्यकारी संचालक का 11 लाख रुपए की रिश्वत लेते वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद अफसर ने दबाव डलवाकर बचाव में घूस देने वालों से ही वीडियो जारी करवाकर सफाई दिलवा दी।
मामला यूं है कि गुरुवार सुबह से वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वीडियो में रीवा औद्योगिक विकास निगम में प्रभारी कार्यकारी संचालक एपी सिंह दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में वह थैले में 11 लाख रुपए रिश्वत लेते नजर आ रहे हैँ। आरोप है, एपी सिंह ने हरियाणा के रोहतक की धर्मपाल एंड कंपनी को दिए गए कार्यों के एवज में बतौर कमीशन उक्त राशि ली है।
दावा है, कंपनी द्वारा रीवा के गुढ और सिंगरौली के बैढ़न में कराए जा रहे कार्यों के एवज में संचालक एपी सिंह ने पैसे मांगे थे। ठेकेदार द्वारा रकम एपी सिंह के घर जाकर देना तय हुआ।
फिर बचाव में आए कंपनी संचालक
वीडियो वायरल होने के बाद एपी सिंह द्वारा बचाव में उन्हीं से वीडियो जारी कराया। वीडियो में विनोद कुमार सचिव धर्मपाल एंड कंपनी रोहतक ने बताया कि ये रिश्वत का पैसा नहीं है, बल्कि बालू ठेकेदार श्रीकांत चतुर्वेदी का पैसा है, जो सप्लाई के माल का पैसा था।
मामले में प्रभारी संचालक एपी सिंह का कहना है कि जो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, वह गलत है। हमने किसी से पैसे नहीं लिए हैं। ये मामला श्रीकांत चतुर्वेदी और विनोद कुमार के वीडियो को देखकर समझ सकते हैं।
रीवा कमिश्नर ने ठहराया था एपी सिंह को दोषी
एमपी आईडीसी के भोपाल को भेजे शिकायती पत्र में अरुण कुमार सिंह ने बताया है कि पहले भी एपी सिंह को रीवा कमिश्नर द्वारा दोषी ठहराया जा चुका है। इसका प्रतिवेदन तीन माह पहले एमपी आईडीसी के प्रमुख सचिव को भेजा गया था। जिस पर कार्रवाई लंबित है। उन्होंने दावा किया, कुछ समय पहले एपी सिंह ने विभाग में निर्माण कार्य कर रहे निविदाकार से कार्य के बदले में भोपाल में मीटिंग के नाम पर 11 लाख रुपए मांगे थे। जो निविदाकार उनके बाल भारती स्कूल के पास स्थित सिरमौर चौराहा के पास बने मकान में दिया था।
कौन हैं एपी सिंह
बता दें, प्रभारी कार्यकारी संचालक एपी सिंह अक्सर चर्चा में रहते हैं। वह सतना में जनपद पंचायत सीईओ की पदस्थापना के दौरान भ्रष्टाचार के मामले में विवादों में रहे। इसके बाद MPIDC कार्यालय पहुंच गए। यहां तबादले के बाद कोर्ट के स्टे पर जमे हैं। खुद को विंध्य के बड़े भाजपा नेता का रूम मेट व कांग्रेस नेता का करीबी बताते हैं। आरोप है, उनके भाई पुलिस विभाग में हैं। वे मामले को मैनेज करने के लिए ठेकेदार पर दबाव बना रहे हैं। ऐसे में बचाव के लिए वीडियो का काउंटर वार किया गया है।
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