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मंडीबामोरा में चार साल पहले 1.76 करोड़ की लागत से बनाया गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का कौना-कौना जर्जर हालात में पहुंच चुका है। अस्पताल का फर्श दो फीट तक धंस गया है, टाइल्स हवा में झूल रहे हैं। जिनमें बैठे कई बार सांप और बिच्छू को पकड़ा जा चुका है। वहीं स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन 50 से 70 आने वाले मरीज एवं उनके परिजनों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। अस्पताल का फर्श क्षतिग्रस्त होने के कारण लोग चोटिल हो रहे है तो सांप, बिच्छू के काटने का भी डर बना रहता है। इस संबंध में केंद्र प्रभारी डॉक्टर पस्तोर कई बार कलेक्टर से लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, बाबजूद कोई सुनने को तैयार नहीं है।
जानकारी अनुसार लोक निर्माण विभाग द्वारा ग्राम मंडीबामोरा में 30 बिस्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन को बनाया गया था। जिसका लोकार्पण 15 सिंतबर 2016 को किया गया था, लेकिन भवन का घटिया निर्माण होने के कारण कुछ ही महिनों के बाद भवन क्षतिग्रस्त होना शुरू हो गया। फर्श जमीन में धंसने के कारण भवन के अंदर एवं बाहर लगे टाइल्स एवं पेपर ब्लॉक हवा में झूल रहे है। जिसके कारण इन टाइल्स में कई बार सांप, बिच्छू आकर बैठ जाते हैं, जन्हें कई बार पकड़ा गया है। साथ ही हवा में झूलते हुए टाइल्सों से अस्पताल में आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को हरदम खतरा बना रहता है। जो पूर्व में चोटिल भी हो चुके है। वहीं अस्पताल के पिलर भी जगह छोड़ चुके हैं। इस संबंध में एसडीएम प्रकाश नायक ने बताया कि इसको दिखवा लेते हैं। वहीं डॉक्टर राजेश पस्तोर ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं।
क्षतिग्रस्त टीन शेड से भर जाता है अस्पताल में पानी
लोगों ने बताया कि अस्पताल के ऊपर लगा टीन शेड सही तरीके से नही बना है। जिस कारण हर साल हवा चलने पर टीन शेड उड़ जाता है और बारिश का पानी अस्पताल परिसर में भर जाता है। जिस कारण फर्श बैठक ले गया है और अब हालत यह है कि अस्पताल अंदर और बाहर से धंस गया है।
सुधार के लिए संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल तक शिकायत, लेकिन कार्रवाई नहीं
अस्पताल की र्जजर हालत की शिकायत कई बार डॉक्टर पस्तोर कर चुके हैं। उन्होंने सुधार कार्य के लिए 2018 में मुख्य अभियंता, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल, कलेक्टर सागर सहित कई संबंधित विभागों के अधिकारियों से कर चुके है। इसके बाद वह कई बार संबंधित अधिकारियों से शिकायत कर चुके है। जिसमें भवन के अधिकांश कमरे, पोर्च का फर्श बैठक ले जाना, शेड को कमजोर बनाना, भवन सीपेज ग्रस्त, भवन में क्रेक आना, रोशनदान से पानी अंदर आना आदि की शिकायत कई बार कर चुके हैं।
अस्पताल में पानी की भी बड़ी समस्या
अस्पताल में पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि टंकी भरने के बाद 10 मिनट में अपने आप पानी खाली हो जाता है। पानी कहां जाता है इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है। कई बार मरम्मत कार्य करवा चुके हैं। बाबजूद आज तक पानी नलों में नहीं आया और न ही इसका कोई निराकरण ही किया गया है। पानी की कमी के कारण मरीजों, परिजनों और अस्पताल स्टाफ को भी परेशानी हो रही है।
पेवर ब्लाॅक उखड़े, मरीजों को बैठने की जगह भी नहीं
अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि यहां आने वाले मरीजों को बैठने तक की जगह नहीं है। अस्पताल के बाहर लगाए गए पेवर ब्लाॅक उखड़ चुके हैं। मरीजों का कहना है कि कई बार अस्पताल के अंदर टाइल्स उखड़ जाने से गिरते-गिरते बचे। यहां एक भी कोना ऐसा नहीं है जहां निर्माण जर्जर न हुआ हो।
भूगर्भीय होती है हलचल, हम डॉक्टर हैं, इंजीनियर नहीं
बीएमओ डॉक्टर संजीव अग्रवाल ने बताया कि जब भवन को लिया गया था। नया भवन था और इस तरह की कोई बात नही थी। हम डॉक्टर हैं इंजीनियर नहीं कि कोई बारीकी से समझ पाते। उक्त क्षेत्र की जमीन में भूगर्भीय हलचल होती रहती है। इसी भवन के लिए बोर खोदते समय बोर से आग निकली थी, जो कई लंबे समय तक जलती है। बाद में वह बोर धसक भी गया। जिसकी सूचना लिखित में पीडब्ल्यूडी को दी गई है।
ठेकेदार बोला-पुरानी अस्पताल में भी कई बार क्रेक आ चुके हैं
घटिया निर्माण कार्य नहीं हुआ है। वहां पहले तालाब था। पुरानी अस्पताल में भी कई बार क्रेक आ चुके है। जिसका मेरे द्वारा मेंटेनेंस किया जा चुका है। भवन के खराब होने की जानकारी नही है। अगर उसमें कोई क्षति हुई है तो उसे ठीक करवा दिया जाएगा।
- पीएस चावला, ठेकेदार
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