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1975 से “खजुराहो नृत्योत्सव’’ आयोजित हो रहा है। यह महोत्सव इस बार एक नए और आकर्षक अंदाज में आयोजित होगा। शनिवार 20 फरवरी से शुरू हो रहा यह महोत्सव पश्चिम मंदिर समूह के अंदर कंदारिया मंदिर और मां जगदंबा मंदिर के बीच मुक्ताकाशी मंच पर होगा। कोरोना महामारी के चलते पहली बार विदेशी दर्शक मौजूद नहीं रहेंगे।
खजुराहो नृत्योत्सव का शुभारंभ 1975 में हुआ था। शुरू के 2 सालों तक इसे पश्चिम मंदिर समूह के अंदर आयोजित किया गया। तब लकड़ी के तख्तों का मंच था, सामने जमीन पर बैठकर ही लोग नृत्य का लुत्फ उठाते थे। उस समय नृत्य देखने के लिए 2 रुपए टिकिट लगता था। दो साल के बाद इस स्थान बदल कर मंदिर समूह परिसर के बाहर निर्धारित किया गया था।
विभिन्न सांस्कृतिक नृत्य बांधेगे महोत्सव में समां
लेकिन इस बार कलेक्टर शीलेंद्र सिंह, पर्यटन एवं संस्कृति सचिव शिव शेखर शुक्ला एवं उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के अधिकारी राहुल रस्तोगी के प्रयास से इसे मंदिर समूह के अंदर करने का निर्णय लिया गया है। नृत्यमहोत्सव में भरतनाट्यम की रुक्मणि देवी, कथक के बिरजू महाराज, ओडिसी के केलुचरण महापात्र, कुचिपुड़ी के वेम्पति चिन्ना सत्यम प्रमुख थे। इसके बाद यहां सोनल मान सिंह, संयुक्तता पाणिग्रही, यमनी कृष्ण मूर्ति, वैजंती माला, हेमामालिनी, मीनाक्षी शेषाद्रि अपने नृत्य कौशल से कला प्रेमियों को आनंदित कर चुकी हैं।
7:00 बजे शाम को 47वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का पर्यटन, संस्कृति एवं अध्यात्म विभाग की मंत्री उषा ठाकुर शुभारंभ करेंगी।
एक नजर नृत्योत्सव के इतिहास पर
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