बकस्वाहा के जंगलों को बचाने की मुहिम अब काफी तेज हो गई है। हीरों के लिए लाखों पेड़ काटे जाने विरोध अब काफी व्यापक रूप ले चुका है। इस अभियान में सहयोग करने नर्मदा गौ संरक्षण सदगुरू भैयाजी महाराज शनिवार को बकस्वाहा पहुंचे। बकस्वाहा तहसील अंतर्गत 382 हैक्टेयर में पाए गए हीरों के उत्खनन के लिए 2 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं। इसका विरोध करते जंगलों को बचाने की मुहिम रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है। बकस्वाहा के जंगलों को बचाने सामाजिक संगठनों के साथ ही साधु संतों का भी मुहिम में सहयोग मिल रहा है। शनिवार की दोपहर जंगल को बचाने की मुहिम में नर्मदा गौ संरक्षण सदगुरू भैयाजी महाराज दादा गुरु बकस्वाहा पहुंचे। उन्होंने लोगों से चर्चा की और जंगल बचाने के अभियान आगे बढ़ाने का आव्हान किया। प्रकृति संरक्षण संवर्धन के लिए विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले संत समर्थ सदगुरु भैयाजी सरकार दादा गुरु विगत 221 दिनों से अन्न का त्याग कर नर्मदा जल पर जीवित रहते हुए नर्मदा जल संग्रहण हरित क्षेत्र को बचाने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं।
3 करोड़ 42 लाख कैरेट हीरा निकालने के लिए लाखों हरे-भरे वृक्षों को काटने की तैयारी शासन द्वारा की जा रही है। लेकिन बकस्वाहा क्षेत्र के लोगों ने जागरूकता दिखाते हुए जंगल को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। बकस्वाहा के जंगलों को बचाने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों द्वारा मुहिम चलाई जा रही है। लोगों का कहना है कि हीरा को निकालने के लिए वृक्षों व प्राणियों के जीवन को खतरे में नहीं जाने देंगे।
गांव के लोगों ने काले झंडे दिखाकर जताया विरोध
जैसे ही भैया जी सरकार दादा गुरु क्षेत्र में पहुंचे, कसेरा ग्राम से इमलीघाट जाने वाले मार्ग पर पहले से कुछ युवा हाथों में काले झंडे लिए खड़े हुए थे। उन्होंने काले झंडा दिखा कर उनका विरोध किया। बाहरी लोगों के आने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और भैयाजी सरकार से सम्मान पूर्वक वापस लौटने की अपील की।
इसके बाद भैयाजी महाराज उसी मार्ग से भीमकुंड के लिए रवाना हो गए। भीमकुंड से ऊमरझिरिया होते हुए बकस्वाहा पहुंचे और फिर इमलीघाट रवाना हो गए। इन युवाओं का कहना है कि यह हमारे गांव की लड़ाई है, हम स्वयं लडेंगे। इसमें बाहरी लोगों को यहां नहीं आने देंगे।
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