घटेरा रेलवे स्टेशन के पास से निकली व्यारमा नदी में पानी होने की वजह से ग्रामीण नदी पर बने रेलवे पुल से आवागमन कर रहे हैं। ऐसे में यात्रियों की जान खतरे में बनी रहती है। दरअसल रेलवे द्वारा नदी पर ट्रेनों की आवाजाही के लिए अंग्रेजी शासनकाल में दो पुल बनाए गए थे। इस पुल का उपयोग रेलवे कर्मचारियों सहित ग्रामीणों द्वारा बारिश के मौसम में किया जाता है। क्योंकि व्यारमा नदी पानी से भर जाती है और रास्ता बंद हो जाता है। जिससे लोग पुल के ऊपर से निकली पटरियों से होकर गुजरते हैं।
हालांकि रेलवे द्वारा सभी की समस्याओं को देखते हुए सुरक्षित पुल पार करने के लिए दोनों तरफ पाथवे बनाया है। ग्रामीण व रेलवे कर्मचारी बारिश के मौसम में पाथवे का उपयोग करते हुए नदी के एक तरफ से दूसरी तरफ सुरक्षित पहुंचते हैं। रेलवे पुल में पाथवे के साथ-साथ झूले भी बने हुए हैं।
यदि पुल पार करते समय ट्रेन आ जाए तो झूलों पर जाकर सुरक्षित खड़े हो सकते हैं। रेलवे के प्रयासों के बाद भी ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पाथवे से न जाकर रेल पटरियों के बीच डली लोहे की चद्दर से होकर आते जाते हैं। ऐसे में कई बार हादसे हो चुके हैं।
इन गांव के लोग करते हैं रेलवे पुल से आवागमन
मोहाली, मडिया, खडेरा, टोरिया आदि गांव के लोग नदी से ही निकलकर घटेरा रेलवे स्टेशन तक आते जाते हैं। लेकिन बारिश के मौसम में नदी में पानी भरा होने से रेलवे पुल ही एकमात्र रास्ता है जिससे ग्रामीण निकलते हैं।
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