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नगर के 94 वर्षीय वृद्ध सुरेश चंद चाैधरी ने अंतिम समय में मुनिसंघ से आशीर्वाद लेकर सब कुछ त्याग करते हुए समाधि अवस्था में देह का त्याग कर दिया। उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई ताे उन्हें कंधा देने उनकी पाेतियां भी लगीं। वह भी श्मशान घाट तक पहुंची। उन्हाेंने अपने पिता से दादाजी का अंतिम संस्कार करने देने की बात कही, पिता सुनील जैन ने उनके सेवा भाव काे देखते हुए अपने साथ अंतिम संस्कार की क्रियाएं करने की अनुमति दे दी। उसके बाद पाेतियाें ने दादाजी का अंतिम संस्कार किया।
यह नगर में अनाेखा उदाहरण है। सुरेश चंद्र चाैधरी पिछले तीन-चार साल से कमजाेर हाे गए थे, चलने में परेशानी हाेती थी। तब पाेतियाें ने दादाजी काे सहारा दिया। उसके बाद गिरने से कूल्हे की हड्डी टूट गई, उन्हें बेड रेस्ट पर आना पड़ा तब तीनाें पाेतियां सेवा में लगी रहीं। सेवी, लवी, यशी चाैधरी ने अपनी एमबीए की ऑनलाइन पढ़ाई भी दादाजी के पास बैठकर की।
उन्हें धर्म ध्यान भी कराया। पाेतियाें ने बताया कि दादाजी की सेवा करने से बुजुर्गाें के प्रति मन में सेवा भाव उत्पन्न हुआ। वर्तमान युवा पीढ़ी में लाेग बुजुर्गाें की मदद करने से कतराते हैं, लेकिन यह बहुत अच्छा, प्रेरणादायी काम है, कि बुजुर्गाें की सेवा की जाए। सेवा भाव से ही लगा कि दादाजी का अंतिम संस्कार भी हम करें, ऐसा हमें करने भी मिला। यह सबसे परम साैभाग्य था।
पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक तथा सामाजिक कार्यों में आपका अधिकतर समय व्यतीत होगा। मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें, आपको कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती हैं। अनुभव...
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