भास्कर एक्सक्लूसिवऑनर किलिंग में साथ देने वाले SI-कॉन्स्टेबल को जेल:हत्या को हादसा बताया; प्रेमिका के परिजनों ने पुलिस कस्टडी में किया मर्डर

सागर7 महीने पहलेलेखक: जितेंद्र तिवारी
  • कॉपी लिंक

यह कहानी उस पिता की है, जिसने बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए 4 साल तक संघर्ष किया। वो यूपी पुलिस से लेकर एमपी पुलिस और फिर कोर्ट के चक्कर लगाता रहा। आखिरकार 1 नवंबर 2022 को कोर्ट ने 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपियों में यूपी पुलिस के एसआई और आरक्षक भी शामिल हैं। दोनों पुलिसवालों ने युवक की हत्या उसकी प्रेमिका के परिजन के साथ मिलकर कर दी थी। पहले हादसे और फिर हत्या में तब्दील मर्डर मिस्ट्री की जांच में कई रोचक मोड़ आए।

इस सनसनीखेज हत्याकांड को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं...

पहले पूरा मामला जान लेते हैं

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले का बानपुर। यहां प्राइवेट स्कूल में बतौर प्राचार्य 24 साल का शिवराम सेन काम कर रहा था। शिवराम सेन पहले से शादीशुदा था। उसे बानपुर के कॉलेज की स्टूडेंट से प्यार हो गया। लड़की दूसरी बिरादरी की है। लगा कि समाज और परिवार रिश्ते को नहीं अपनाएगा। 2018 में दोनों घर छोड़कर भाग गए। लड़की के घरवाले पुलिस के पास पहुंचे। दोनों की मोबाइल लोकेशन विदिशा मिली। पुलिस टीम परिजन को लेकर विदिशा पहुंची। दोनों मिल भी गए। लौटने के दौरान युवक का मर्डर कर दिया गया।

पुलिस ने इस हत्या को हादसे की शक्ल देने के लिए भरपूर कोशिश की। युवक के पिता प्रकाश सेन को जब बताया गया कि उसके बेटे की हादसे में मौत हो गई है, तो वे तिलमिला उठे। उन्हें शक था कि पुलिस के साथ मिलकर लड़की के पिता ने बेटे की जान ली है।

पिता की जुबानी पुलिस की मौजूदगी में ऑनर किलिंग की कहानी

बात 14 अप्रैल 2018 की है। मध्यप्रदेश के मालथौन थाने से मुझे कॉल आया। कहा गया- आप मालथौन आ जाओ। आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है। इसके बाद मैं मालथौन पहुंचा। हादसे की जो कहानी पुलिस ने बताई, वो समझ से परे थी। मैंने न्यायिक जांच की मांग की। जांच में मामला साफ हो गया। बेटे को बानपुर थाना पुलिस ने लड़की पक्ष के साथ मिलकर मार दिया था। साजिश रचकर मेरे बेटे की हत्या की। उसे एक्सीडेंट बता दिया गया था।

मेरा बेटा शिवराम सेन निवासी जाखलौन गांव से करीब 60 किमी दूर बानपुर में रहता था। जहां वह निजी स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ था। उसकी शादी हो चुकी थी। एक बेटी भी है। इसी बीच अचानक बेटा किसी युवती के साथ चला गया। मुझे कुछ नहीं पता कि उसका क्या मैटर था। दोनों मध्यप्रदेश के गंजबासौदा थानाक्षेत्र में पकड़े गए थे। इसके बाद बानपुर थाना पुलिस उन्हें लेने के लिए गई थी। वापस आते समय पुलिसवालों ने लड़की वालों के साथ मिलकर साजिश रचकर बेटे की हत्या कर दी। मैंने जवान बेटा खोया है। मैं उस समय आधा पागल हो गया था। कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन न्यायिक जांच होने से मुझे न्याय मिला।

दोषियों को उनके कर्मों की सजा मिली। आरोपियों को सजा होने से कुछ सुकून मिला है, लेकिन सजा के बाद भी दुख कम नहीं हुआ, क्योंकि मेरा बेटा वापस नहीं आएगा। उसे तो मैंने हमेशा के लिए खो दिया। अब मेरा सहारा 20 वर्षीय छोटा बेटा बचा है। शिवराम की पत्नी भी घर छोड़कर चली गई। उसने दूसरी शादी कर ली है। साथ में नातिन को भी ले गई है। बेटे की हत्या के बाद पूरा परिवार बिखर गया। आरोपियों को सजा तो मिली, लेकिन जवान बेटे को खोने का दर्द कभी कम नहीं होगा।

(जैसा प्रकाश सेन ने दैनिक भास्कर को बताया)

जानते हैं कि पुलिस ने कैसे रची हादसे की झूठी कहानी
13 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के बानपुर थाने में पदस्थ एसआई राजेश तिवारी और आरक्षक शिववरन प्रजापति सागर के मालथौन थाना पहुंचे। यहां लिखित आवेदन दिया कि वे गंजबासौदा से गुमशुदा को लेकर लौट रहे थे, तभी मालथौन थानाक्षेत्र के बेसरा तिगड्‌डा के पास सड़क पर एक युवक दुर्घटनाग्रस्त पड़ा मिला। कुछ ट्रक आगे जा रहे थे। संदेह के आधार पर एक ट्रक को ड्राइवर के साथ पकड़ लिया है। ट्रक और ड्राइवर थाने में पुलिस के सुपुर्द कर दिए।

साथ ही, मृतक अज्ञात होना बताया। इसके बाद वे गुम इंसान को साथ लेकर बानपुर के लिए रवाना हो गए। सूचना पर मालथौन थाना पुलिस ने पंचनामा बनाया। मृतक की जेब से पर्स मिला, जिसमें मिले आईडी कार्ड से उसकी पहचान शिवराम पुत्र प्रकाशचंद्र सेन उम्र 24 साल निवासी जाखलौन के रूप में हुई। पुलिस ने परिवार वालों को सूचना दी।

पिता के बयान के बाद बदला जांच का एंगल
मामले को एमपी पुलिस हादसा मानकर चल रही थी, लेकिन शिवराम के पिता के बयानों के बाद मामले का एंगल बदल गया। शिवराम के पिता ने बानपुर थाना पुलिस और लड़की पक्ष पर हत्या का आरोप लगाया, तभी पता चला कि ललितपुर जिले के बानपुर में 2018 में मामला दर्ज हुआ था। शिकायत में बताया गया था कि एक युवती इंटर कॉलेज में पढ़ती थी। उसका शिवराम सेन से प्रेम प्रसंग चल रहा था। अप्रैल 2018 में शिवराम और युवती घर से भाग गए थे। मामला दर्ज होने पर पुलिस दोनों की तलाश कर रही थी। यूपी की बानपुर पुलिस लड़की पक्ष के लोगों के साथ दोनों को लेने के लिए गंजबासौदा पहुंची थी।

पिता ने हत्या का संदेह जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की थी। तत्कालीन सागर एसपी ने मामले की न्यायिक जांच के लिए पत्र लिखा। इसके बाद न्यायिक जांच शुरू हुई। डॉक्टर्स के पैनल से शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। पीएम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर चोट के कई निशान मिले।

मौत से पहले संघर्ष की बात भी रिपोर्ट में कही गई। बताया गया कि मौत सिर पर चोट लगने के कारण हुई है। डॉक्टरों से परीक्षण कराया गया, तो सामने आया कि ये चोटें मारपीट में लगी हैं। इसके अलावा मृतक के ऊपर से बोलेरो का पहिया निकालकर हत्या को दुर्घटना का रूप दिया गया था। आरोपियों ने हत्या को हादसा बताने के लिए हादसे की झूठी शिकायत मालथौन थाने में की थी।

जांच में आए साक्ष्यों के आधार पर मालथौन थाना पुलिस ने बानपुर थाने के एसआई राजेश तिवारी, आरक्षक शिववरन प्रजापति, राकेश धोबी, चार्लीराजा उर्फ उपकार सिंह परमार, राघेंद्र सिंह परमार और मणिराजा परमार के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छिपाने समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर जांच में लिया था।

अब पढ़िए यूपी पुलिस की दो झूठी कहानियां... थाने में सुनाई पहली कहानी कहानियां... थे।

जांच के दौरान बताई दूसरी कहानी
गंजबासौदा से बानपुर जा रहे थे। रास्ते में करीब 1 बजे खिमलासा के आगे शिवराम सेन को पेशाब लगी, तो बीच की सीट पर बैठे आरक्षक शिववरन और चार्लीराजा उसे लेकर गाड़ी से उतरे और पेशाब कराने ले गए। लौटकर आए और गाड़ी में बैठने लगे, तभी खिमलासा की ओर से आ रहे ट्रक की चपेट में आने से शिवराम की मौत हो गई। ट्रक का पीछा कर उसे रोका और पकड़कर मालथौन थाने में भेजा था। थाने में लिखित आवेदन दिया था।

खबर आगे पढ़ने से पहले आप इस पोल पर राय दे सकते हैं...

समझिए, कैसे पीएम रिपोर्ट बनी फैसले का आधार
MP में आकर युवक की हत्या कर हादसा बताने वाले UP पुलिस के उपनिरीक्षक व आरक्षक समेत चार आरोपियों की सजा में सबसे बड़ा आधार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनी। आरोपी पुलिस एसआई व आरक्षक ने लड़की पक्ष के लोगों के साथ मिलकर युवक की हत्या की थी। हत्या को छिपाने के लिए सागर के मालथौन थाने में युवक की दुर्घटना में मौत होने की कहानी रची। इतना ही नहीं, वे स्वयं ही एक ट्रक को पकड़कर साथ ले गए थे। खुद मृतक की पहचान नहीं करते हुए अज्ञात बताया था।

सागर पुलिस ने एसआई राजेश तिवारी (चश्मे में) को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। युवक की हत्या की साजिश में इसे भी शामिल पाया गया।
सागर पुलिस ने एसआई राजेश तिवारी (चश्मे में) को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। युवक की हत्या की साजिश में इसे भी शामिल पाया गया।

जब मृतक की पहचान हुई। मर्ग जांच की गई, तो मामले की परत खुलती चली गई। पोस्टमॉर्टम में हत्या की पुष्टि हुई, तो न्यायिक जांच में उत्तर प्रदेश पुलिस की झूठी कहानी सामने आ गई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 1 नवंबर 2022 को उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के बानपुर थाने में पदस्थ उपनिरीक्षक आरोपी राजेश तिवारी, आरक्षक शिववरन व युवती के परिजन चार्लीराजा परमार, पिता राघवेन्द्र परमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साक्ष्यों के अभाव में दो आरोपी राकेश धोबी और मणिराजा को बरी कर दिया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी एडीपीओ रामबाबू सिंह ठाकुर ने की।

इन साक्ष्यों ने भी खोली यूपी पुलिस की पोल आरोपियों ने मृतक को थाने में अज्ञात बताया था, जबकि वे उसे पुलिस अभिरक्षा में साथ लेकर जा रहे थे। ट्रक की टक्कर में सिर्फ शिवराम की मौत हुई, जबकि उसके साथ दो लोग ओर थे, उन्हें चोट नहीं आई और न ही गाड़ी क्षतिग्रस्त हुई। पीएम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर चोटों और संघर्ष के निशान मिले थे। सिर पर चोट लगने से मौत की पुष्टि हुई थी।

आरोपी पुलिस एसआई ने बासौदा थाने से मृतक शिवराम को नियमानुसार कानूनी कार्रवाई कर कब्जे में नहीं लिया था। जिस ट्रक से दुर्घटना होना बताया गया था, उस पर कोई भी दुर्घटना संबंधी निशान नहीं मिले थे। गंजबासौदा थाने के सीसीटीवी के फुटेज में आरोपी शिवराम को लेकर जाते दिखे थे।