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पिछले 37 साल से शहर जस का तस है। इस दौरान शहर की सरहदें बढ़े इसको लेकर कई बार प्लानिंग हुई। शासन के पास अटक गई हैं। दरअसल, शहर का दायरा बढ़ने से न केवल योजना के लिए बजट मिलेगा, बल्कि अपना सागर भी महानगर की श्रेणी में शामिल हो सकेगा।
वर्ष 2019 में ही निगम और प्रशासन से शहर की सीमा वृद्धि करने का प्रस्ताव मांगा था, जिस पर सैद्धांतिक सहमति बनी और प्रस्ताव भेज ही नहीं पाएं। वर्ष 1983 में सागर नगर पालिका से नगर निगम बना। नपा के समय 35 वार्ड हुआ करते थे। पहले परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या बढ़कर 42 हो गई। दूसरा परिसीमन 1992 में हुआ। 6 वार्ड और बढ़े। तब से लेकर अब तक सीमा विस्तार के लिए केवल मांग ही उठ रही है।
निगम निगम के सामने अब यह चुनौतियां
महानगर बनाने का सपना भी अधूरा, वार्डों के बढ़ने की जरूरत
ननि की सीमा वृद्धि अगर समय रहते पूरा कर लेता तो कैटेगरी के हिसाब से शहर भी महानगरों के दायरे में आ जाता। यानी 48 वार्डों की संख्या वाले इस शहर से लगे कनेरादेव, मेनपानी, रजौआ, चितौरा, पथरिया हाट आदि को शामिल कर लिया जाता तो सीमा विस्तार के बाद वार्डों की संख्या 70 हो जाती।
5 किलोमीटर की परिधि में बसे शहर में की गई स्मार्ट प्लानिंग
स्मार्ट सिटी की बार-बार प्लानिंग हो रही है। लेकिन 5 किमी के दायरे में बसे इस शहर में डेवलपमेंट कैसे हो पाएगा। स्मार्ट रोड, डि-सिल्टिंग, झील की सफाई में विकास की संभावनाएं को टटोलने में जुट हुए हैं। जबकि शहरी विकास की जिन इलाकों में गुंजाइश थी। वहां स्थिति जस की तस रहेगी।
शहर के सीमा विस्तार का शासन को प्रस्ताव भेजेंगे
सीमा विस्तार को लेकर पिछले सालों में प्रस्ताव शासन के पास भेजे गए थे। कुछ तकनीकी खामियों की वजह से वह मंजूर नहीं हो पाए। एक बार फिर शहर की सीमाओं को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेंगे। - राजबहादुर सिंह, सांसद
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