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जमीन हड़पने का नया तरीका:फर्जी नामांतरण, पुराने रिकॉर्ड में ओवरराइटिंग और कर्ज में फंसाकर 10 गांव के आदिवासियों की 150 एकड़ जमीन पर कब्जा

सागरएक वर्ष पहलेलेखक: अतुल तिवारी
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सागर जिले के केसली ब्लॉक में आदिवासी किसानों की जमीन रसूखदार छीन रहे हैं।  - Dainik Bhaskar
सागर जिले के केसली ब्लॉक में आदिवासी किसानों की जमीन रसूखदार छीन रहे हैं। 

सागर जिले के केसली ब्लॉक में आदिवासी किसानों की जमीन रसूखदार छीन रहे हैं। 20 साल में राजस्व रिकॉर्ड में ओवरराइटिंग, फर्जी नामांतरण व किसानों को कर्ज के जाल में फंसाकर 10 गांव की 150 एकड़ जमीन हथियाई जा चुकी है। आदिवासी ब्लॉक केसली के किसानों को अंदेशा है कि 56 ग्राम पंचायत में दबंगों द्वारा अब तक 1000 एकड़ जमीन हड़पी जा चुकी है। केवलारी कलां, बसा, सेमरा, झिरिया, पलोह, केवलारी खुर्द, चौराडोंगरी, नारायणपुर, अलमपुर और खटौला गांव में फर्जी नामांतरण के जरिए जमीनें कब्जाने के मामले सामने आ चुके हैं।

1000 एकड़ जमीन पर भी कब्जे की अंदेशा

40 एकड़ जमीन दूसरे के नाम दर्ज कर दी

बसा के वीरसिंह आदिवासी ने बताया उनकी 40 एकड़ जमीन 2002 में कुलडोंगरी के कुछ लोगों ने पटवारी को रुपए देकर जमीन अपने नाम करा ली।

ट्रस्ट के नाम बताकर जमीन हड़प ली गई

केवलारी कलां की पंचान कमेटी के नाम 4.29 हेक्टेयर जमीन दर्ज थी, जो 2009 में वृंदावनबाग ट्रस्ट के नाम बता रहे, लोग इससे सहमत नहीं है।

पटवारी ने दूसरे को दी जमीन, रिकॉर्ड बदला

बसा के रामकृपाल गौड़ ने बताया पटवारी ने उनकी 5 एकड़ जमीन दूसरों को नपवा दी। जमीन पर कब्जा अब भी उन्हीं का है लेकिन रिकॉर्ड में नाम नहीं। रामकृपाल ने जमीन पर अपना नाम दर्ज करने की बात कही तो पटवारी ने 10 हजार रुपए मांगे थे। 5 हजार दे दिए हैं।

इन किसानों की जमीनों के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी

  • केवलारी कलां के गणेश चढ़ार को 22 साल पहले दो एकड़ जमीन का पट्टा स्वीकृत हुआ लेकिन रिकॉर्ड में जमीन अब तक उनके नाम दर्ज नहीं हुई।
  • बसा गांव के गंगाराम गौड़ ने बताया पिता की मौत के बाद मां ने तेरहवीं के लिए 15 हजार उधार लिए थे। बदले में 7 एकड़ जमीन गिरवी रख दी। तब से उनका कब्जा है।
  • घाघरी के हुकुम अहिरवार ने पिता की मृत्यु के बाद फौत उठवाई तो पटवारी ने बंदी में सुधार कर दिया लेकिन मूल रिकॉर्ड में सुधार नहीं किया है। केवलारी कलां के किशोरा के केस में भी यही किया।

पटवारी रिपोर्ट में माना

पीठासीन अधिकारी के आदेश के बिना अभिलेखों में किया फेरबदल

केसली तहसील में पटवारी रहे शैलेन्द्र सिंह ने तीन साल पहले रिकॉर्ड की बारीकी से जांच कर रिपोर्ट तहसीलदार को सौंपी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि 23 आदिवासी किसानों की जमीनों के रिकॉर्ड में पीठासीन अधिकारी के आदेश के बिना ही कम्प्यूटर अभिलेखों में हेरफेर किया। बेव जीआईएस से नया खसरा-बी1 डाउनलोड कर जब रिकॉर्ड का मिलान किया तो कई विसंगतियां मिली। 23 किसानों की 80 एकड़ जमीन फर्जी तरीके से नामांतरित कर दी। दोषियों पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई।

  • 17 किसानों की 89 एकड़ जमीन लौटाई : क्षेत्र के किसानों ने तीन साल पहले इस संबंध में कलेक्टर से शिकायत की थी। तब तत्कालीन कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने जांच कराकर 17 किसानों की 89 एकड़ जमीन जो फर्जी न थी।
  • रिकॉर्ड में ओवरराइटिंग : 2002-03 से 2006-07 के पंचवर्षीय खसरा नंबर 260 में केवलारी कलां के रज्जू टुन्डे के नाम 0.50 हेक्टेयर जमीन दर्ज थी। 2006-07 से 2010-11 के खसरा में जमीन सतीश हनुमत के नाम दर्ज कर दी।

लिखित शिकायत आई तो जांच कराएंगे

मेरे पास इस मामले में एक भी लिखित शिकायत आएगी तो पूरे मामले की जांच करा लूंगा और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। -दीपक आर्य, कलेक्टर