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यदि हम बिजली की एक यूनिट खपत करते हैं तो एक किलोग्राम कार्बन उत्सर्जित होता है। जो वायुमंडल में 150 से 200 वर्ष तक संचित रहता है। मानव जीवन के लिए यह घातक है। सौर ऊर्जा का दैनिक जीवन में उपयोग कर मानव अस्तित्व को बचाया जा सकता है। यह बात मुंबई आईआईटी के प्रोफेसर व मप्र सौर ऊर्जा के ब्रांड एम्बेसडर चेतन सोलंकी ने गुरुवार को कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक में कही। वे सागर एनर्जी स्वराज यात्रा लेकर आए हैं। अधिकारियों से उन्होंने अवॉयड, मिनिमाइज और जनरेट के सिद्धांत पर प्रकृति बचाने की बात कही।
प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि हमारी यात्रा का उद्देश बिजली कनेक्शन व खपत को कम करना और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सोलर पैनल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। ‘एनर्जी बाय लोकल फॉर लोकल’ के आधार पर सोलर पैनल व सोलर एनर्जी से संबंधित उपकरण बनाने से सोलर एनर्जी का उपयोग बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। प्रोफेसर सोलंकी 11 वर्ष के लिए सोलर एनर्जी से चल रही बस से जनचेतना के लिए स्वराज यात्रा कर रहे हैं।
प्रो. सोलंकी बैठक से पहले एमएलबी स्कूल क्रमांक-1 पहुंचे और वहां शिक्षकों व छात्राओंं को भी सौर ऊर्जा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कोरोना संक्रमण से बचाव व कोरोना के दौर में अध्ययन किस तरह करें, इसका संदेश दिया। कलेक्टर दीपक सिंह ने कहा कि सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता फैलाने जन आंदोलन चलाया जाएगा।
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