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जिला अस्पताल में लगे शिविर में हुई नसबंदी फेल होने का मामला सामने आया है। रजौआ निवासी दपंती तीसरा बच्चा नहीं चाहता था और महिला ने फरवरी में जिला अस्पताल में आयोजित कैंप में नसबंदी कराई थी, लेकिन इसके बाद भी महिला प्रेग्नेंट हो गई और शनिवार को उसने एक बेटी को जन्म दिया है। महिला के पति का कहना है कि नसबंदी में हुई लापरवाही की वजह से हमें तीसरे बच्चे को जन्म देना पड़ा।
रजौआ में रहने वाले ऊषा पति नीलेश पटेल की करीब 6 वर्ष पहले शादी हुई थी। दोनों की एक बेटी और एक बेटा पहले से है। दंपती तीसरा बच्चा नहीं चाहते थे। इसके लिए उन्होंने फैमिली प्लानिंग की और फरवरी में जिला अस्पताल में लगे शिविर में महिला की नसबंदी कराई, लेकिन कुछ माह बाद महिला की प्रेग्नेंसी का पता चला। इसके बाद पति ने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की।
पति नीलेश पटेल ने बताया कि जब उसने 181 पर शिकायत की। तो अधिकारियों के फोन आए और नसबंदी से जुड़े मूल दस्तावेज मांगे गए। नीलेश ने दस्तावेजों की फोटो कॉपी उपलब्ध करा दी, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ और शिकायत बंद कराने के लिए कहा गया। जो उसने नहीं कराई। दपंती के यहां शनिवार दोपहर 12:45 पर बेटी ने जन्म लिया है। पति नीलेश की मांग है कि सरकार अब उसे मुआवजा दें।
मोटी ट्यूब के है साइड इफैक्ट
डॉ. ज्योति चौहान, प्रभारी, जिला महिला एवं प्रसूता अस्पताल का कहना है कि मोटी ट्यूब में रबर बैंड स्लिप होने व तीन माह तक परहेज न करने की वजह से इस तरह की स्थिति बनती है। ये मोटी ट्यूब के साइड इफैक्ट हैं। कई मामले में नसबंदी के समय जांच में महिला प्रग्नेंसी समझ नहीं आती, लेकिन इसके कुछ दिन बाद प्रोसेस पूरी होने से महिला प्रेग्नेंट हो जाती हैं। 0.1 से 0.4 प्रतिशत मामलों में ऑपरेशन फेल होने की संभावना रहती है।
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