मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं कक्षा का रिजल्ट बुधवार को घोषित हुआ। बेस्ट 5 पद्धति के आधार पर तैयार हुए इस रिजल्ट से 100 फीसदी विद्यार्थी पास हुए। रिजल्ट भी विद्यार्थियों की उम्मीद से बेहतर है, लेकिन मेरिट सूची और पास-फेल का अंतर न होने के कारण रिजल्ट को लेकर विद्यार्थियों में उत्साह कम दिखा। कई विद्यार्थियों का कहना था- यदि मेरिट लिस्ट जारी होती तो, मेरा नाम टॉप-10 में होता।
शाम 4 से 6 बजे तक रिजल्ट देखने में सर्वर की भी समस्या रही। शहर में विद्यार्थी परेशान होते रहे। स्थिति यह थी कि ग्रामीण क्षेत्र के कई विद्यार्थियों ने बुधवार रात भी अपना रिजल्ट नहीं देखा। वहीं स्कूल का रिजल्ट 100 फीसदी होने के कारण शिक्षकों में उत्साह कम था। यहां बता दें कि बेस्ट ऑफ फाइव सिस्टम 2018 से लागू किया गया है। जिसमें छह में से पांच विषयों को आधार बनाकर विद्यार्थियों को पास किया जाता है।
यानी पहले जहां 10 वीं कक्षा में कुल अंक 600 होते थे, अब उसकी जगह 500 अंक में से प्राप्तांक मिले हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार कोई भी विद्यार्थी फेल नहीं किया गया और न ही किसी को सप्लीमेंट्री आई। रिजल्ट को लेकर जब दैनिक भास्कर टीम ने विद्यार्थियों से बात की तो उन्हें रिजल्ट अच्छा आने की खुशी तो थी, लेकिन कॉम्पिटिशन की भावना कहीं नजर नहीं आई।
सृष्टि श्रीवास्तव
छात्रा सृष्टि श्रीवास्तव ने 500 में से 493 अंक हासिल किए। रिजल्ट 98.6 % रहा। सृष्टि बतातीं हैं कि उन्हें पांच में से तीन विषयों में 100 फीसदी अंक मिले हैं। वहीं अन्य दो विषयों के अंक भी 99 और 94 फीसदी हैं। जो विषय कमजोर था उसमें 60 फीसदी अंक थे, लेकिन बेस्ट 5 पद्धति का उन्हें फायदा मिला और छठवें विषय के अंक नहीं जुड़ने से न सिर्फ उनके प्रतिशत बढ़े बल्कि स्कूल में भी टॉप किया।
श्रेया तोमर
10 वीं कक्षा की छात्रा श्रेया तोमर ने 500 में से 438 अंक हासिल किए। रिजल्ट 87.6 % रहा। श्रेया अपने इस रिजल्ट से ज्यादा खुश नहीं है। उनका कहना है कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तुलना में फाइनल परीक्षा के दौरान विद्यार्थी ज्यादा मेहनत करते हैं। यदि लिखित परीक्षा होती तो उनके अंक 95 प्रतिशत से अधिक होते। श्रेया प्रदेश की मेरिट सूची में आना चाहती थीं, लेकिन परीक्षाएं न होने कारण उनका यह सपना अधूरा रहा।
आकाश रैकवार
10 वीं कक्षा के छात्र आकाश रैकवार ने 500 में से 500 अंक प्राप्त किए हैं। इनका रिजल्ट 100 फीसदी है। आकाश का कहना है कि रिजल्ट तो उनकी मेहनत के अनुसार ही है। बेस्ट 5 पद्धति का उन्हें फायदा मिला। लेकिन यदि मेरिट सूची भी तैयार की जाती तो उनका प्रदेश की टॉप 10 लिस्ट में नाम होता। इससे न केवल मनोबल बढ़ता, बल्कि आगे और मेहनत करने के लिए भी प्रोत्साहित होते।
दिव्यांश सोनी
10 वीं कक्षा के छात्र दिव्यांश सोनी ने 500 में से 495 अंक प्राप्त किए हैं। इनका रिजल्ट 99 प्रतिशत रहा। दिव्यांश अपने रिजल्ट से बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि रिजल्ट उनकी मेहनत के मुताबिक ही है लेकिन यदि प्रदेश या जिले की मेरिट सूची जारी होती तो उन्हें इस बात का अनुमान लगता कि उनका रिजल्ट दूसरों से कितना बेहतर है।
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