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स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर में 10वां स्थापना दिवस मनाया गया। संस्थापक कुलपति डाॅ. अनिल तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलन किया और विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन पढ़ा। उन्होंने कहा सांस्कृतिक कार्यक्रम मन की शुुचिता समरसता तथा रागात्कमक प्रवृत्ति का योग है जिसे हर्षोल्लास से व्यक्त किया जा रहा है। कलेक्टर दीपक सिंह ने कहा मूल्य वे मानक हैं, जो संस्कृति से निकलकर परम्पराओं द्वारा घाशित तथा आत्मचेतना या अन्तःकरण द्वारा संरक्षित होती है, मानव इनको आधार बनाकर अपनी जीवन शैली का निर्माण करता है और जीवन के आदर्शों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
विधायक शैैलेन्द्र जैन जी ने कहा कि - शिक्षार्थी को एक सभ्य संस्कारवान नागरिक, देश के प्रति निष्ठावान और समाजोपयोगी व्यक्ति के रूप में विकसित करें। उच्च शिक्षा को इन उद्देश्यों की पूर्ति करना है और संस्कारवान व्यक्ति का निर्माण करना है।निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डाॅ.भरत शरण सिंह ने कहा कि - धैर्य संतोष, सहनशीलता तथा आत्म संयम का परिचायक है सांस्कृतिक कार्यक्रम यही मानव धर्म है जिसे स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय अपनी कर्मनिष्ठा से आगे बढ़ा रहा है।
विश्वविद्यालय की पूरी शिक्षा चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास पर आधारित है। यही जीवन मूल्य है। जो जीवन को, व्यक्तियों, वस्तुओं और संबंधों के समान ही वास्वविक है, इन मूल्यों का हम इंद्रियों और तर्क-बुद्धि से नहीं जानते, बल्कि धर्म-शास्त्रकारों के शब्दों में हम उन्हें उन्र्तज्ञान या विष्वास से जानते हैं। कुुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी ने कहा चरित्र निर्माण की केंद्रीत करते हुए बताया-रामात्मक प्रवृत्ति को मधुरता प्रदान करती है। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
पॉजिटिव- आज आपकी प्रतिभा और व्यक्तित्व खुलकर लोगों के सामने आएंगे और आप अपने कार्यों को बेहतरीन तरीके से संपन्न करेंगे। आपके विरोधी आपके समक्ष टिक नहीं पाएंगे। समाज में भी मान-सम्मान बना रहेगा। नेग...
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