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मौसम में आए परिवर्तन के चलते फसलों पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ गया है। जिससे इल्ली दिनों दिन फसलों को चौपट कर रही है। हैरानी की बात तो यह है कि गेहूं की फसल में पहले कभी भी इल्ली नहीं देखी गई, लेकिन इस बार गेहूं की फसल पर ही इल्ली का प्रकोप है।
जबकि इसके पहले वर्षों में केवल चना की फसल में ही इल्ली का प्रकोप होता था। क्षेत्र के देवरी एवं केसली ब्लॉक के कुछ गांवों सहित मालथौन ब्लॉक के बोबई एवं आसपास के अन्य गांवों में गेहूं की फसलों को इल्ली लगातार चौपट कर रही है। जिससे किसान परेशान हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया यह कीट अफ्रीका से भारत आया है। करीब 20 राज्यों में इसका प्रकोप देखा गया है। इसका नाम फॉल आर्मी वर्म है। यह पोलीफेगस कीट है। यह मुख्य रूप से मक्का को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट बादल वाले मौसम में अधिक बढ़ता है। साथ ही फसलों को ज्यादा नुकसान करता है। ज्यादा ठंड पड़ने पर कीट प्रकोप कम हो जाता है।
किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। नहीं तो जब बालियां हो जाएंगी तो और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। ऐसे में वे दवाओं का छिड़काव कर लें। मुझे इसकी शिकायत मिली तो मैंने देवरी के आसपास के विभिन्न गांवों में जाकर निरीक्षण किया। जिसमें गेहूं पर इल्ली का प्रकोप दिखा है। किसानों को दवा छिड़काव की सलाह दी है।
किसानों को यह है सलाह
इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए इमामेक्टिन वेजोएन्ट 100 ग्राम दवा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़कें। इसके अलावा फ्लूवेंडामाइड 50 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़क सकते हैं। रेनेक्सीपायर (कोरामेन) 40 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़क सकते हैं।-डॉ. आशीष त्रिपाठी, कृषि वैज्ञानिक
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