पृथ्वीपुर में कांग्रेस को सहानुभूति वाला दांव उल्टा पड़ गया। भाजपा के शिशुपाल ने बड़ा उलटफेर करते हुए इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया। शुरुआत से ही यहां दोनों के बीच टक्कर रही। यहां राउंड बढ़ते गए, लेकिन वोटों का अंतर 3 से 4 हजार के बीच ही रहा। आखिरी-आखिरी में भाजपा ने जोर पकड़ा।
करीब 15 हजार मतों से शिशुपाल ने कांग्रेस के नितेंद्र सिंह को पराजित कर दिया। यह सीट कांग्रेस के पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई थी। कांग्रेस ने यहां से उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को टिकट दिया था। जब काउंटिंग के 3 राउंड रह गए थे, तभी नितेंद्र सिंह हार मानकर वहां से चले गए थे। उन्होंने भाजपा के शिशुपाल को बधाई भी दे दी थी।
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कृषि में पीएचडी डॉक्टर शिशुपाल यादव का मुख्य व्यवसाय ठेकेदारी है। शिशुपाल ने 2018 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बृजेन्द्र सिंह राठौर को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि इन्हें 7620 वोट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। पृथ्वीपुर विधानसभा के लिए 3 बार चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को 2 बार हार का सामना करना पड़ा। 2018 में हुए चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी। यही वजह रही कि 2018 सबसे कम अंतर पर हारे समाजवादी पार्टी से आए शिशुपाल पर बीजेपी ने भरोसा जताया।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं यादव
शिशुपाल यादव मूलतः उत्तर प्रदेश के जिला ललितपुर के रहने वाले हैं। लंबे समय से वे निवाड़ी में रह रहे हैं। परिवार की बात करें तो शिशुपाल की पत्नी शशि यादव और 2 बच्चों में एक बेटी औ एक बेटी हैं। शिशुपाल यादव को टिकट मिलने के बाद उनका पार्टी से जुड़े काफी लोगों ने अंदरूनी तौर पर काफी विरोध किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने यहां हो रहे डैमेज कंट्रोल को संभाला और जीत की राह आसान की। कांग्रेस ने भी बाहरी प्रत्याशी को मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई।
शिशुपाल के जीतने की वजह
कांग्रेस के नितेंद्र के हार के कारण
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