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झलोन रहली सड़क मार्ग के दोनों ओर वन विभाग की बेशकीमती भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा करके बेचने का काम किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला वन परिक्षेत्र झलौन के अंतर्गत झलौन बीट कक्ष नंबर पीएफ 149 में रहली मार्ग और झलौन से तारादेही सड़क मार्ग के दोनों तरफ सामने आया है।
यहां पर करीब 1 किलोमीटर की लंबाई पर करीब 25 हेक्टेयर वन भूमि पर लगभग 8-10 मुनारे बने हुए थे। ग्राम की आबादी क्षेत्र राजस्व विभाग की भूमि से लगे हुए थे, पहले इन मुनारो की मरम्मत नहीं किए जाने की स्थिति में क्षतिग्रस्त हो गए और मुनारो के नामोनिशान मिटते ही पड़त भूमि पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया और कीमती शासकीय भूमि को दस गुना महंगे दामों पर जमीन को बेचने का गोरखधंधा चल रहा।
हैरानी की बात यह है कि वन भूमि अतिक्रमण के चलते सिमटती जा रही और वन विभाग को कानों-कान भनक नहीं लग रही। अतिक्रमण के इस गंभीर मामले की जानकारी होने पर भी अतिक्रमणकारियों से सांठगांठ होने की वजह से अधिकारी द्वारा अनदेखी की जा रही। जबकि वन परिक्षेत्र कार्यालय झलौन की नाक के नीचे वन भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है।
जिसकी वजह ग्रामीण बताते हैं कि अंगद की तरह वर्षों से जमे अधिकारी कर्मचारियों की अतिक्रमणकारियों से सांठगांठ होने की वजह से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही का दिखावा तो किया जाता है, लेकिन अतिक्रमण हटाया नहीं जाता है, अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दूसरे दिन पुनः अतिक्रमण हो जाता है।
गौरतलब है कि यह जमीन बहुत कीमती होने के कारण अनेक भू-माफियाओं की नजरें लगीं रहती हैं, ग्रामीणों की मांग है कि वन भूमि की सीमा में यथास्थान पर मुनारों का पुनः निर्माण करवाते हुए वन विभाग की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की कार्यवाही की मांग वन मंडल अधिकारी दमोह से की गई है। बीटगार्ड सचिन साहू का कहना है कि मुनारों के निर्माण व अतिक्रमण हटवाने के लिए बरिष्ठ अधिकारों को पत्र लिखा गया है। डीएफओ विपिन पटेल का कहना है कि वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण की जांच करवाते हैं।
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