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सतना जिले के उचेहरा के किसानों ने इच्छामृत्यु की मांग की है। राष्ट्रपति ने नाम एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में किसानों ने कहा है कि पावर ग्रिड को मुआवजा देना नहीं है। अधिकारियों को मुआवजा दिलाना नहीं है। ऐसे में अब जीने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि जो जमीन थी वह पावर ग्रिड कंपनी ले ली। मुआवजा से घर का खर्च चलता तो वह मिला ही नहीं। फसल थोड़ा बहुत थी उसको कंपनी के ट्रैक्टर और ट्रकों ने कुचल दिया।
जब भी सक्षम अधिकारियों से मुआवजा मांगे तो आश्वासन मिला। वहीं पुलिस अधिकारियों ने बंदूक के दम पर हमारी मांगों को दबा दिया। गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक किसी अधिकारी ने किसानों की समस्याओं पर गौर ही नहीं किया। पावर ग्रिड कंपनी के टावरों में चढ़कर प्रदर्शन किए तो घर वालों को पुलिस उठाकर ले गई। ऐसे में अब एक चारा ही बचा है राष्ट्रपति द्वारा मिलने वाली इच्छामृत्यु। इसलिए हम सब किसान एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है।
किसानों ने बताया कि हम सभी उचेहरा तहसील के विभिन्न गांवों के निवासी हैं। ज्यादातर गांवों में किसानों की जमीन पर पावर ग्रिड कंपनी द्वारा उच्च दाब की हाइटेंशन लाइनों का निर्माण पिछले एक दशक के अंदर किया गया। इसमें पावर ग्रिड के लाइनों की संख्या बहुत है। ज्यादातर गांवों में नियम विरूद्ध तरीके से निर्माण किया गया था। जहां जिला प्रशासन और कंपनी की मिली भगत से किसानों को भूमिहीन कर दिया गया। फिर भी किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा नहीं दिया गया।
किसान कई वर्षों से आवेदन, ज्ञापन, आमरण अनशन, टॉवर में चढ़कर प्रदर्शन कर जा चुके हैं। लेकिन आश्वासन के अलावा न्याय नहीं मिला। किसानों ने अपनी मांगों के लेकर कई प्रकार के प्रयास किए। फिर भी पॉवर ग्रिड कंपनी और प्रशासन के अधिकारियों ने मुआवजा नहीं दिया। उपर से वरिष्ठ कार्यालय को समय समय पर भ्रामक जानकारी दी गई। ऐसे में अब जिला प्रशासन व पावर ग्रिड कंपनी से भरोसा उठ गया है। ऐसे में भारत के एक नागरिक होने के नाते सभी किसानों ने राष्ट्रपति से न्याय की मांग की है। न्याय न मिलने की दशा में इच्छामृत्यु की अपील की है।
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