सतना जिले की रैगांव विधानसभा से पांचवीं बार के विधायक एवं भाजपा के पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी कोरोना संक्रमित हो गए है। वे एंटीजन जांच में कोरोना संक्रमित मिले है। हालांकि आरटीपीसीआर की जांच के लिए रीवा मेडिकल कॉलेज सैंपल भेजा गया है।
जिसकी जांच रिपोर्ट सोमवार को आएगी। वहीं परिवारिक सदस्यों की मानें तो शनिवार को बिरला अस्पताल में सीटी स्कैन जांच कराई गई तो नार्मल थी। फिर भी कोरोना संक्रमित मानते हुए रैगांव विधायक खुद को पेप्टेक सिटी स्थित घर में होम आईसोलेशन में चले गए है।
लगातार दौरे के कारण थकवाह
भास्कर रिपोर्टर से जुगुल किशोर बागरी के बड़े पुत्र पुष्पराज बागरी ने बताया है कि नेताजी को तीन दिन पहले हल्का बुखार आया था। हालांकि वो बुखार नहीं बल्कि लगातार क्षेत्र में तीन दिन दौरा करने की थकवाह थी। फिर भी कोरोना संबंधित जांच कराने शहर के बिरला हॉस्पिटल गया था। जहां पर वे एंटीजन की जांच में पॉजिटिव आए। इसके बाद सिटी स्कैन कराया गया, तो नार्मल था। ऐसे में आरटीपीसीआर की जांच के लिए रीवा सैंपल भेजा गया है। जिसकी जांच रिपोर्ट सोमवार को आएगी। उसी रिपोर्ट के बाद विधायक जी के इलाज का निर्णय लिया जाएगा।
सीएम शिवराज विधायकों के इलाज के लिए गंभीर
बुजुर्ग विधायक के संक्रमण की खबर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान गंभीर है। सरकार पहले भी उनके बीमार होने पर एयर लिफ्ट कर भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। ऐसे में कोरोना के कहर को देखते हुए सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। उनको दिल्ली के मेदांता या भोपाल के चिरायु अस्पताल में शिफ्ट करने की चर्चा है।
एकदम से स्वस्थ्य है कक्का जी
रैगांव क्षेत्र के बरा कला निवासी विधायक समर्थक सचिन पाण्डेय ने बताया कि कक्का जी एकदम से स्वस्थ्य है। वे रविवार की दोपहर सोफा में बैठे थे। उसी तरह सबसे बातचीत कर रहे है। साथ ही होम आईसोलेशन में है।
एक नजर में रैगांव विधायक
बता दें कि जुगुल किशोर बागरी पांचवीं बार भाजपा से विधायक बने है। वे 1993 में पहली, 1998 में दूसरी, 2003 में तीसरी, 2008 में लगातार चौथी बार विधायक बनकर इतिहास रचा था। हालांकि 2013 में बढ़ती उम्र को देखते हुए पार्टी ने उनकी जगह बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया था। लेकिन बसपा की उषा चौधरी से पुष्पराज हार गए थे। इसके बाद एक बार फिर बब्बा पर ही पार्टी ने भरोसा किया तो 2018 में पांचवी बार विधायक बने। वे 2003 में उमा भारती की सरकार में कैविनेट मंत्री थे, लेकिन एक लोकायुक्त के प्रकरण के कारण मंत्री पद गवांना पड़ा था।
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