मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार की शाम करीब 4.30 बजे गृह ग्राम बसुधा पहुंचे। यहां पर सीएम ने रैगांव विधानसभा से पांच बार के विधायक व भाजपा के पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के निधन के उपरांत श्रद्धा सुमन अर्पित कर परिजनों को ढांढस बंधाया। साथ ही परिजनों को हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। कहा कि स्वर्गीय जुगुल किशोर बागरी के विचार आज भी हम लोगों के बीच जिंदा है जो कभी नहीं भुलाए जा सकते है। आज भारतीय जनता पार्टी ने एक सच्चा सिपाई खो दिया है। जो सर्वहारा वर्ग का नेता था।
वे रैगांव की आरक्षित सीट से चुनकर विधानसभा जाते थे। लेकिन उनके विचार और स्वभाव बेवाक थे। उनकी कमी तो हम लोगों को जरूर खलेगी। जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है। कोरोना आपदा के कारण अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाया था, इसलिए आज आया हूं।
हालांकि विस अध्यक्ष गिरीश गौतम और हमारी सरकार के राज्यमंत्री रामखेलाव पटेल उस दिन पहुंचे थे। इसके बाद मुख्यमंत्री स्वर्गीय जुगुल किशोर बागरी के बड़े पुत्र पुष्पराज बागरी से इलाज के संबंध में जानकारी लेते हुए शाम 5 बजे भोपाल के लिए रवाना हो गए।
सोमवार को भोपाल में निधन, मंगलवार को गांव में अंतिम संस्कार
बता दें कि रैगांव विधायक का निधन सोमवार की शाम 6 बजे भोपाल के चिरायू अस्पताल में हुआ था। जिनका मंगलवार की सुबह 11 बजे अंतिम संस्कार गृह ग्राम बसुधा किया गया था। अंतिम संस्कार से पहले पुलिस की टीम ने हर्ष फायर कर सशस्त्र सलामी दी। फिर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। रैगांव विधायक को मुखाग्नि बड़े बेटे पुष्पराज बागरी ने दी। जहां पर कोरोना प्रोटोकाल के कारण बेहद कम संख्या के बीच अंतिम विदाई दी गई थी। उस दौरान सिर्फ विस अध्यक्ष गिरीश गौतम, राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह, रामपुर बाघेलान विधायक विक्रम सिंह, पूर्व विधायक धीरेन्द्र सिंह धीरू, भाजपा जिला अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी सहित कलेक्टर अजय कटेसरिया, एसपी धर्मवीर सिंह, एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी सहित अन्य विभागों के जिम्मेदार ही पहुंच पाए थे।
पांच बार विधायक और एक बार रहे मंत्री
बता दें, बागरी पांचवीं बार भाजपा से विधायक बने हैं। वे 1993 में पहली, 1998 में दूसरी, 2003 में तीसरी, 2008 में लगातार चौथी बार विधायक बनकर इतिहास रचा था। हालांकि 2013 में बढ़ती उम्र को देखते हुए पार्टी ने उनकी जगह बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया था, लेकिन बसपा की उषा चौधरी से पुष्पराज हार गए थे। इसके बाद एक बार फिर बब्बा पर ही पार्टी ने भरोसा किया तो 2018 में पांचवी बार विधायक बने। वे 2003 में उमा भारती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन एक लोकायुक्त के प्रकरण के कारण मंत्री पद गंवाना पड़ा था।
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