सतना कलेक्टर अजय कटेसरिया की पत्नी शुभम प्रिया ने धुनुची नृत्य किया। इसका वीडियो सामने आया है। वह हाथों में खप्पर लेकर ढाक की थाप पर नृत्य कर रही हैं। इस दौरान पति-पत्नी ने पारंपरिक सिंदूर खेला रस्म में भी शामिल हुए। बता दें कि कलेक्टर की पत्नी शुभम प्रिया कटेसरिया पश्चिम बंगाल के आसनसोल की हैं।
यह आयोजन शनिवार रात को सतना के बंगाली समिति कालीबाड़ी ने किया था। कार्यक्रम में कलेक्टर अजय कटेसरिया सपरिवार शामिल हुए। उन्होंने माता की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने मां काली और भगवान शिव के मंदिर में भी सपरिवार पूजन-आरती की। कलेक्टर की पत्नी शुभम प्रिया एवं उनकी मां ने सिंदूर खेला रस्म में शामिल होकर खप्पर के साथ नृत्य करते हुए मां दुर्गा की आराधना की। उन्होंने माता रानी को सिंदूर अर्पण किया और फिर अन्य महिलाओं के साथ मिलकर एक-दूसरे को बधाई दी।
बंगाली समाज और परंपराओं से पुराना नाता
शुभम प्रिया कटेसरिया पश्चिम बंगाल के आसनसोल की हैं। बंगाली समाज के साथ उनका जुड़ाव पुराना है। बंगाल में मनाए जाने वाले पारंपरिक पर्वों और वहां की रीतियों से भी बखूबी परिचित हैं। सिर्फ उनकी पत्नी का ही नहीं, कलेक्टर अजय कटेसरिया का भी बंगाल से पुराना नाता है। उनका ननिहाल पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के जामुड़िया गांव में है।
कटेसरिया भी बचपन से ही बंगाली समाज के दुर्गा पूजा आयोजनों में शामिल होते आए हैं। सतना में काली बाड़ी दुर्गा पूजा उत्सव बंगाली समाज द्वारा मनाए जाने की जानकारी मिली तो कटेसरिया अपनी शुभम प्रिया और सास के साथ दुर्गा पूजा में शामिल होने पहुंच गए। अचानक कलेक्टर को सपरिवार वहां पारंपरिक परिधानों में मौजूद देखकर काली बाड़ी में उपस्थित श्रद्धालुओं की खुशी दो गुनी हो गई। कटेसरिया ने बताया कि वह बचपन से ही दुर्गा पूजा में सपरिवार शामिल होते रहे हैं।
क्या धुनुची नृत्य
बंगाल में यह नृत्य मां भवानी की शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। धुनुची में कोकोनट कॉयर और हवन सामग्री (धुनो) रखा जाता है। असल में इसे शक्ति नृत्य कहा जाता है। पुराणों के मुताबिक, महिषासुर बहुत ही शक्तिशाली था। मां भवानी उसे मारने से पहले धुनुची नृत्य किया था। उसी से मां की आरती की जाती है।
यह है सिंदूर खेला रस्म
बंगाली समिति कालीबाड़ी में परंपरागत ढंग से सिंदूर दान के साथ माता रानी की विदाई की गई। इस अवसर पर कालीबाड़ी में समाज के सैकड़ों परिवारों ने शामिल होकर माता के दर्शन किए और पारंपरिक ढाक की धुन पर नृत्य करते हुए सिंदूर खेला का आयोजन किया। आयोजन में सौभाग्यवती महिलाएं माता रानी को सिंदूर अर्पित करती हैं और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद सभी आपस में एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर गले मिलते हैं और उत्साह के साथ माता रानी को अगले बरस फिर आने का आमंत्रण देते हैं।
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