मंगलवार शाम काे अग्रवाल पंचायती भवन से गणगौर निकाली गई। इस दौरान महिलाओं ने गेरो गेरो जी तिगड़ी बनवाओ रसिया, मैं तो बिन देखे कुमलावां रसिया.... गीत गाया। इसमंे महिलाएं इस गीत को गाकर कहती हैं कि अधिक से अधिक बजनदार टीका बनवाकर दो, दूसरों को देख देखकर हमारी इच्छा होती है।
गणगौर का पर्व होली जलने के दूसरे दिन पड़वां से शुरू होता है। महिलाएं होली की राख, कंडे और गेहूं की 16 पिंडी बनाती हैं। इस पर्व को कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर इसे करती हैं। शीतला सप्तमी पर मंगलवार को गणगौर ईसर की स्थापना की गई। इसके बाद गणगौर बाग बगीचों में जाती हैं।
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