8 में से 2 चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा:कूनो में 50 दिन से क्वारंटाइन एरिया में थे

दीपक दंडोतिया। श्योपुर7 महीने पहले
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर को नामीबिया से लाए जिन 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था, उनमें से 2 चीतों को शनिवार शाम को बड़े बाड़े में छोड़ा गया। ये सभी चीते 50 दिन से क्वारंटाइन एरिया में रह रहे थे। 6 चीते अभी भी इसी छोटे बाड़े में हैं। जिन्हें बाद में छोड़ा जाएगा।

शनिवार को दो चीतों को गेट नंबर 4 से बड़े बाड़े में छोड़ा गया। चीतों को टास्क फोर्स के सदस्यों ने चर्चा के बाद यह निर्णय करते हुए छोड़ा है कि अब चीतों को ज्यादा दिन छोटे बाड़े में रखना ठीक नहीं है। बाकी चीतों को चरणबद्ध तरीके से जल्द छोड़ने की बात की जा रही है। बता दें कि दो चीतों को बाड़े में छोड़ने से पहले चीता टास्क फोर्स समिति के सदस्य एनटीसीए के आइजी अमित मलिक, पीसीसीएफ वन्यजीव जेएस चौहान, वन बल प्रमुख आरके गुप्ता और चीता प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक और भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन वायवी झाला ने चीतों को बारी-बारी से छोड़ने पर सहमति जताई। डीएफओ पीके वर्मा ने बताया कि दो नर चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया है, जहां इनके शिकार के लिए हिरन, चीतल जैसे छोटे जानवर मौजूद हैं।

बिफरे वन मंत्री बोले- सुरक्षा जरूरी
इधर, बिना बताए चीते छोड़े जाने पर वन मंत्री विजय शाह नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि अफसरों ने जल्दबाजी में और मनमाने ढंग से यह फैसला किया है, इससे चीतों की जान खतरे में पड़ सकती है। वहां मौजूद तेंदुओं से टकराव की आशंका है।वन मंत्री ने कहा कि जिन चीतों के भारत की धरती पर लाने के लिए देश ने 70 साल लंबा इंतजार किया है, उनकी सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है। उनके बारे में जल्दबाजी और जनप्रतिनिधियों को सूचना दिए बगैर कोई काम करना गैर जिम्मेदाराना है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े एक्सपर्ट ने बताया कि सभी 8 चीते अब बड़े बाड़े में छाेड़े जाने की स्थिति में हैं। यदि कोई बाधा नहीं आई तो कुछ और चीताें काे रविवार काे रिलीज किया जा सकता है।

चीतों को खूंखार तेंदुए से खतरा
उधर कूनो नेशनल पार्क को अपना घर मान चुके चीतों को बड़े बाड़े में एक खूंखार तेंदुए से खतरा बताया जा रहा है। चीतों की जिस बड़े बाड़े में शिफ्टिंग हो रही है, उसमें एक तेंदुआ है। उसे पकड़ने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। नतीजा- 30 दिन में बड़े बाड़े में शिफ्टिंग का प्लान अटक गया। हालांकि दो चीते छोड़ दिए गए हैं।

इससे पहले अपनी टीम के साथ कूनो पहुंचे चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान ने कहा था कि शनिवार को 3 चीते छोड़े जाने हैं। बाकी 5 को भी चरणबद्ध रूप से छोड़ा जाएगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीतों को मध्यप्रदेश में हिरण और सांभर का शिकार करना आसान होगा। इनके पहले शिकार से ही इनके आगे की जीवित रहने की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

80 दिन बाद करेंगे शिकार
बड़े बाड़े में रिलीज किए गए दोनों चीते 80 दिन बाद शिकार करेंगे। भारत लाने से पूर्व इन चीतों को एक माह के लिए नामीबिया में क्वारंटीन रखा गया था। कूनो में भी यह 50 दिन क्वारंटीन रहे। इस तरह अब 80 दिन बाद इन्हें बड़े बाड़े में शिकार का अवसर मिलेगा। इस बाड़े में चीतों के शिकार के लिए चीतल, सांभर और हिरण आदि पशु हैं।

पढ़िए, कूनो से ये रिपोर्ट...

श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में अब सितंबर जैसी चहल-पहल नहीं है। तब नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो में बसाने की तैयारी जोरों पर थी, अब इसमें सुस्ती आ गई है। चीतों को 49 दिन बाद भी छोटे बाड़े में ही गुजारा करना पड़ रहा है। उन्हें 30 दिन की निर्धारित क्वारैंटाइन अवधि बीतने पर बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जाना था। यहां वो खुलकर दौड़ सकते थे। शिकार कर सकते थे और तनावमुक्त जीवन जी सकते थे। फिलहाल, इस राह में एक खूंखार तेंदुआ बड़ी बाधा बन गया है। हालांकि 2 चीतों को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया है

तीन तेंदुए थे बड़े बाड़े में
वन विभाग के अफसरों की मानें तो जब चीते भारत लाए गए, तब तक बड़े बाड़े में 3 तेंदुए घुस गए थे। हालांकि बड़े बाड़े की तार फेंसिंग की गई थी, लेकिन ये तेंदुए फेंसिंग को लांघ गए। इनमें से वन विभाग ने काफी मशक्कत के बाद दो तेंदुए पकड़ लिए। उन्हें बाड़े से बाहर कर दिया, लेकिन एक तेंदुआ अब भी रह गया है।

हाथी भी ठिठक गए
बड़े बाड़े में सर्च और तेंदुए को बाहर निकालने के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से नर-मादा हाथी के जोड़े को कूनो लाया गया है। कम से कम ऐसे तीन मौके आए हैं, जब हाथियों के साथ टीम ने तेंदुए की लोकेशन ट्रेस कर ली। जैसे ही, तेंदुआ हाथियों के सामने आया, वो इस तरह गुर्राया कि हाथियों के कदम भी ठिठक गए।

बाड़े की सिक्योरिटी में कमी
28 सितंबर को कूनो आए चीता टास्क फोर्स के सदस्यों ने बड़े बाड़े की फेंसिंग और इंटरनल इलेक्ट्रिफिकेशन में खामी होने की बात कहकर 7 दिन में इसे दूर करने के निर्देश दिए थे। यह सारा काम भी चीतों के आने से पहले हो जाना चाहिए था। उम्मीद थी कि 7 दिन बाद चीतों को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जा सकेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

करीब 3 महीने से कैद में चीते
कूनो आने से पहले नामीबिया में भी उन्हें करीब महीने भर तक इसी तरह से बंद रखा गया था। इस दौरान चीतों के तमाम टेस्ट भी किए गए थे। इस हिसाब से चीते पिछले करीब 3 महीने से आजादी से न तो भाग-दौड़ कर पा रहे हैं और न ही शिकार कर पा रहे हैं। उन्हें भैंस का मांस परोसा जा रहा है।

गनीमत यह कि तबीयत नहीं बिगड़ी
दुनिया में सबसे ज्यादा तेज रफ्तार में दौड़ने वाले चीतों को घास के खुले और बड़े मैदानों में दूसरे वन्य जीवों के बीच रहना पसंद है। उन्हें लंबे समय तक छोटे स्पेस में रहने से स्ट्रेस हो सकता है और खाना-पीना बंद कर सकते हैं। अच्छी बात ये है कि अब तक 8 में से किसी चीते की तबीयत नहीं बिगड़ी। 49 दिन में कोई टेस्ट भी नहीं किए गए हैं।

तेंदुए को निकालने के प्रयास जारी
वन मंडल के डीएफओ प्रकाश वर्मा का कहना है कि चीता कब रिलीज किए जाएंगे यह निर्णय टास्क फोर्स कमेटी को लेना है। चीते पूरी तरह से स्वस्थ हैं। रही बात बाड़े की तो बाड़ा लगभग तैयार है, जो काम रह गया है, उसे तेजी के साथ करवा रहे हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाए गए हाथी अभी यहीं हैं। बाड़े में जो आखिरी तेंदुआ रह गया है, उसे निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।

कौन-सी मादा चीता प्रेग्नेंट है यह 6-7 दिन बाद पता चलेगा
नामीबिया से आने के बाद अटकलें थीं कि एक मादा चीता प्रेग्नेंट है। शावक को जन्म देने में वह 90 दिन का वक्त लेती है। नवंबर 15-16 को 90 दिन पूरे हो रहे हैं। फॉरेस्ट के अधिकारियों ने बताया कि आखिरी के पांच-छह दिनों में पता चलता है कि वह प्रेग्नेंट है या नहीं। इस हिसाब से 10 या 11 नवंबर को पता चल जाएगा कि कौन-सी मादा चीता शावकों को जन्म देने वाली है। जब नामीबिया से चीतों को लाया जा रहा था, तब एक मादा चीता नामीबिया में शावकों को जन्म दे चुकी थी। यदि ऐसा नहीं होता तो वह इस समय कूनो नेशनल पार्क में होती।

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