मध्यप्रदेश के श्योपुर जिला मुख्यालय से करीब 140 किलोमीटर दूर विजयपुर। सप्ताह भर पहले यहां के जंगलों से 3 चरवाहे किडनैप कर लिए गए। पुलिस बीहड़ की खाक छानती रही, लेकिन सुराग तक नहीं लगा सकी। शनिवार को चरवाहे खुद किडनैपर्स के चंगुल से छूट कर आ गए। अब वे घर में अपनों के बीच हैं, लेकिन किडनैपर्स ने उन्हें जो शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी हैं, उस भुला नहीं पा रहे। बदमाशों का खौफ और यातनाओं का दर्द उनकी आंखों में साफ दिख रहा है।
तीन में से एक शख्स की हालत मारपीट से बेहद नाजुक हो गई है। वो अब भी सदमे में है। उसे इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया है। दूसरा चरवाहा बीमार हो गया है। उसे बुखार है। तीसरा चैन की नींद सो नहीं पा रहा है। वो रातभर चिल्लाता रहा- बचाओ-बचाओ, डकैत मारने आ रहे हैं। दैनिक भास्कर ने गांव जाकर हालात जाने...
आगे बढ़ने से पहले पूरा मामला जान लेते हैं
श्योपुर जिले में चंबल के जंगल से शनिवार को 7 चरवाहे लापता हो गए थे। 24 घंटे में चार तो लौट आए, लेकिन तीन नहीं लौटे। लौटकर आने वालों ने बताया कि जो तीन लोग लापता हुए हैं, उनके एवज में 12 लाख की फिरौती मांगी गई है। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। 6 थानों की 8 टीमें तीन दिन से चंबल के जंगल छानती रही, लेकिन सुराग नहीं मिला। लापता लोगों के घर वालों तक खबर पहुंची कि फिरौती की रकम 15 लाख हो गई है।
शनिवार को विजयपुर इलाके के गंजनपुरा और भूरापुरा गांव के तीन चरवाहे बदमाशों के चंगुल से मुक्त होकर भले ही लौट आए हैं, लेकिन बदमाशों ने जो क्रूरता उनके साथ की है, उसका डर अब भी मन से नहीं निकल सका। घर आने के बाद शनिवार रात यानी आठवें दिन पहली बार उन्होंने सोने की लाख कोशिश की, लेकिन बदमाशों के डर ने उन्हें अपनों के बीच खुद के घरों पर भी सोने नहीं दिया।
पढ़िए, तीनों की दिल दहला देने वाली आपबीती
विजयपुर के गुंजनपुरा गांव का रहने वाला गुड्डा बघेल। वह भागकर आने वालों में हैं। उसने बताया कि डकैतों ने हम 3 लोगों के साथ जो सलूक किया है, वह रोंगटे खड़े करने वाला है। 7 दिन बाद जब आठवें दिन घर पहुंचे, तो रात को सोचा था कि चैन की नींद सो लूंगा। जैसे ही नींद लगी वैसे ही डर के मारे उठ बैठा। फिर मैंने देखा कि मैं तो घर पर आ गया हूं। यहां डकैत नहीं आ सकते। मन को तसल्ली देकर थोड़ी देर बाद फिर सोने की कोशिश की, लेकिन नींद लगते ही फिर बदमाश दिखने लगे। खौफ के साथ नींद फिर से टूट गई। इस तरह से पूरी रात दहशत में गुजरी।
शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात पहले हमें जमकर पीटा। फिर करीब 20 किलोमीटर दूर तक चला कर जंगल में ले गए। आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। हमें 2 दिन और 2 रात लगातार चलाते रहे। तीसरे दिन खाने के लिए एक-एक रोटी हम तीनों के लिए दी। हमें 24 घंटे में 30 से 35 किलोमीटर चलाया जाता था। 2 दिन लगातार 1-1 रोटी खाने के लिए देने के बाद एक दिन फिर भूखा रखा गया।
प्यास लगने पर वह हमें हमारे मुंडा (जूतों) में पानी पिलाते थे, इसलिए हम पानी भी कम पीते थे। हमें इतनी ज्यादा बेरहमी से पीटा जाता था कि कोई जानवरों को भी इस तरह से नहीं पीटता होगा। हमारे पैर, हाथ और पीठ, कमर में हरे पेड़ों की लकड़ियों (शंटी) से क्रूरता से मारते थे।
पल-पल ऐसा लगता था कि अब हम जिंदा नहीं बचेंगे। वह कभी भी बंदूक तानकर हमें मारने के लिए भी खड़े हो जाते थे। भूख के मारे पेट में आग सी लगी रहती, लेकिन डकैतों के डर से हम भूखे होते हुए भी रोजाना 30 से 35 किलोमीटर दूर तक शरीर की पूरी ताकत लगाकर भागते थे।
हमें डकैतों ने छोड़ा नहीं, बल्कि हम भागकर आए हैं। जब डकैतों के चंगुल से छूटकर आए तो पहले रोधई से मंडरायल तक बस में बैठ कर आए, फिर चंबल पार करके अटार से सबलगढ़ तक, फिर सबलगढ़ से तीसरी बस पकड़कर हम विजयपुर पहुंचे हैं।
हम अपने घर पर भले ही आ गए हैं, लेकिन मन से भय निकलने का नाम नहीं ले रहा है। हर पल यही लगता है कि बदमाश हमें मारने आ रहे हैं। सात रातों से सोए नहीं थे। आठवीं रात भी दहशत में गुजर गई। आंखों में नींद भरी है। सिर भारी हो रहा है, लेकिन डर के मारे घर के भीतर भी नींद नहीं आ रही। घर के अन्य सदस्यों ने बताया कि वो रात भर चिल्लाते रहे कि डकैत आ रहे हैं।
अपहरण से छूटकर आए रामस्वरूप यादव की हालत गंभीर
टॉर्चर से सबसे ज्यादा गंभीर हालत भूरा पुरा गांव के रहने वाले चरवाहे राम स्वरूप यादव की है। डकैतों ने उन्हें ही सबसे ज्यादा पीटा है। पैरों की उंगलियों और नाखून जला दिए। उन्हें गंभीर हालत में ग्वालियर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां हालत नाजुक बनी हुई है।
तीसरा चरवाहा भरतू बघेल भी बीमार
बदमाशों के चंगुल से छूटकर गंजनपुरा गांव स्थित घर पहुंचा चरवाहा भरतू बघेल बीमार हो गया है। भरतू बात करने की स्थिति में भी नहीं था। हमने उसके भाई गोपाल से बात की।
गोपाल ने बताया कि भाई घर भले ही वापस आ गया है, लेकिन डकैतों के डर से बुरी तरह से खौफ में है। उसे बुखार आ गया है। रात में बार-बार नींद से चिल्लाते हुए जागता रहा। हर 20 से 25 मिनट में जब भी उसे नींद लगती तो कुछ ही मिनट बाद वह यह कहते हुए जाग जाता कि मत मारो। कभी कहने लग जाता कि डकैत आ गए। उन्होंने मांग की है कि बाकी के फरार आरोपियों की भी जल्द गिरफ्तारी की जाए।
तीन गिरफ्तार, पांच फरार
पुलिस का कहना है कि 8 अपहरणकर्ताओं में 5 फरार हैं, जबकि 3 को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपहृत लोगों को भी पुलिस ने ही छुड़ाया। हालांकि अपहरण से छूटकर आए लोगों का कहना है कि वे भागकर आए हैं।
एसपी बोले- समझा रहे हैं कि डरने की जरूरत नहीं
एसपी आलोक कुमार सिंह का कहना है कि पूछताछ के दौरान जानकारी मिली है कि बदमाशों ने अपहृतों को बहुत ज्यादा टॉर्चर किया है। खाना भी कभी 2 दिन में तो कभी 1 दिन बाद देते थे। वह भी एक से दो रोटी दी गई है। राम स्वरूप बघेल को उपचार के लिए ग्वालियर रेफर किया गया था। उनका इलाज जारी है। सभी को पुलिस समझा रही है कि किसी भी तरह से डरने की जरूरत नहीं है। आप पूरी तरह सुरक्षित हैं।
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6 थानों की 8 टीमें छान रही चंबल के जंगल
श्योपुर जिले में चंबल के जंगल से चार दिन पहले सात चरवाहे लापता हो गए। 24 घंटे के भीतर चार लौट आए, लेकिन तीन नहीं लौटे। लौटकर आने वालों ने बताया कि जो तीन लोग गायब हुए हैं उनके एवज में 12 लाख की फिरौती मांगी गई है। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। पूरी खबर पढ़ें
हमें लाठी-डंडों से पीटा, पैर के नाखून जला दिए
श्योपुर से अगवा हुए चारों चरवाहे बदमाशों के चंगुल से भागकर लौट आए हैं। हफ्तेभर पहले करीब 8 हथियारबंद बदमाशों ने इनका अपहरण कर लिया था। 7 दिन तक पुलिस इनका पता तक नहीं लगा सकी। पीड़ितों ने बताया कि वहां हमें पीटा जाता था, और खाने के लिए दिनभर में सिर्फ एक रोटी देते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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