जिले में आवारा मवेशियों की बढ़ती संख्या से शहर व गांव के लोग काफी परेशान हैं। सड़कों में स्वच्छंद विचरण करते आवारा पशुओं के चलते सड़क दुर्घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं के चलते किसान काफी परेशान हैं। खेतों में बोई गई फसलें आवारा पशु मौका पाते ही चट कर जाते हैं।
आवारा पशुओं से खेतों को बचाने के लिए किसानों को दिन के अलावा रात में भी खेतों की देखभाल करने की मजबूरी निर्मित हो गई है। कहने के लिए जिले में 16 गोशालाओं का संचालन हो रहा है। इनमें 13 गोशालाएं ग्राम पंचायतों के माध्यम से संचालित हो रही हैं। जबकि 3 गोशालाएं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं। गोशालाओं में मौजूद पशुओं और रिकार्डों में दर्ज पशुओं की संख्या में काफी अंतर है।
बताया गया है कि गोशालाओं में मौजूद पशुओं की संख्या काफी कम रखी जाती है। जिससे उन्हें चारा एवं भूसा की व्यवस्था न बनानी पड़े। गोशालाओं के संचालन को लेकर प्रशासनिक स्तर से बड़ी लापरवाही आरंभ से ही चल रही है। इनका औचक निरीक्षण न होने के कारण मनमानी संचालन हो रहा है।
गौरतलब है कि अप्रैल 2021 से मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना अंतर्गत ग्राम पंचायतों में गोशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इनमें आवारा मवेशियों को पूरी क्षमता के साथ रखनें की जरूरत नहीं समझी जाती। आसपास के आवारा मवेशियों को ग्रामीण पहुंचा देते हैं उन्हें ही रखा जाता है जबकि गोशालाओं में दर्जनों गांवों के आवारा मवेशियों को पंचायत स्तर से पहुंचाने की व्यवस्था बनानी चाहिए।
वहीं शहरी क्षेत्रों मे जो आवारा मवेशी स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। उनको भी ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित गोशालाओं में ले जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। पशु चिकित्सा सेवाएं सीधी में मौजूद रिकार्ड के अनुसार जिले में संचालित 16 गोशालाओं में करीब 1500 आवारा मवेशियों को रखा गया है। इनमें ग्राम पंचायत स्तर के ही आवारा मवेशी मौजूद हैं।
इस मामले में गोशालाओं के संचालन से जुडे़ लोगों का कहना है कि शासन से आवश्यक आर्थिक मदद न मिलने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है कि दूर-दराज के आवारा मवेशियों को भी गोशाला तक लाया जा सके। यदि प्रशासनिक स्तर से ऐसी व्यवस्था बन जाए कि शहरी क्षेत्रों में जितने भी आवारा मवेशी हैं उन सबको गोशालाओं तक पहुंचा दिया जाए तो शहरी क्षेत्रों की समस्या भी खत्म हो सकती है।
शाम ढलते ही मवेशी सड़कों में आकर बैठ जिसके चलते रात में सड़क हादसे ज्यादा संख्या में होते हैं। सड़क हादसों में फंसने के बाद अक्सर निरीह मवेशियों की भी मौत हो जाती है या फिर वह गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं।
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