सीधी जिले के कुसमी ब्लाक के संजय टाइगर बफर जोन टमसार रेंज अंतर्गत तीन ओर पहाड़ों से घिरा बाड़ीझरिया गांव में एक बैगा समाज की आदिवासी मां अपने बेटे की जान को खतरे में देखकर अपनी जान की परवाह किए बगैर जंगली खुंखार जानवर चीते से टकरा गई। मां के साहस के आगे आखिरकार चीते को हार माननी पड़ी और अंततः बालक को छोड़ना ही पड़ा।
घटना में चीते के हमले से घायल राहुल बैगा (8) के गाल पीठ और एक बाईं आंख में गंभीर चोटें आईं हैं। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग टमसार टीम द्वारा रात में ही घायल राहुल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अस्पताल कुसमी पहुंचाकर इलाज कराया जा रहा है।
यह है पूरा मामला
आदिवासी महिला किरण बैगा ने बताया कि शाम के 7 बजे के आसपास मैं अलावा जलाकर तीनों बच्चों के साथ बैठी हुई थी एक बच्चा गोदी में बिठाई थी अगल-बगल दोनों बच्चे बैठे थे। तभी पीछे से अचानक जंगली चीता आया और बगल में बैठे मेरे 8 वर्षीय बेटे राहुल को मुंह में दबोचकर जैसे ही चला मैं भी चीखती चिल्लाती अंधेरी रात में पीछे पीछे चलती गई। 1 किलोमीटर दूर चीता जंगल मे ही एक जगह रुका और बालक को पंजो से दबोचकर बैठ गया तब मैंने हिम्मत और साहस करके उसके पंजे से बच्चे को किसी तरह छुड़ाई और हल्ला गुहार की फिर मैंने अपने बच्चे को अपने बांहों में कसकर लिपटा ली तब दूसरी बार चीता फिर वार किया तब मैंने उसके पंजे को पकड़कर जोर से धकेल दी। तब तक गांव के लोग भी पहुंच गए और चीता वहां से जंगल की ओर भाग गया। महिला ने बताया कि इसके बाद मैं बेहोश हो गई जब मेरी आखें खुली तो मैं अस्पताल में थी।
इनका कहना है
वहीं वसीम भूरिया, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, संजय गांधी रिजर्व ने कहा कि छोटा तेंदुआ था जो बालक को घायल कर दिया था। जिसके वार से बालक के पीठ गाल और आंख में चोटे आई हैं। जिसे शाम को ही कुसमी अस्पताल में भर्ती करा दिया एवं तत्कालीन सहायता के रूप में ₹1000 की राशि दे दी गई है जो भी इलाज का खर्चा होगा पूरा खर्चा मैं उठाऊंगा।
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