समर्थन मूल्य पर गेहूं डालने के लिए किसानों के पंजीयन 1 फरवरी से शुरू किए जा रहे हैं। इसके लिए जिले भर में 100 से अधिक पंजीयन केंद्र बनाए जाएंगे, लेकिन ऐसा न हो कि पिछले साल की तरह इस बार भी किसान समर्थन मूल्य की जगह मंडी में व्यापारियों को गेहूं की फसल बेच दें। क्योंकि इस बार पिछले साल से ज्यादा भाव मंडी में गेहूं के भाव मिल रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल 2022 में समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए जिले के 46 हजार 114 किसानों ने पंजीयन कराया था। जबकि साल 2021 में 60 हजार 697 किसानों ने पंजीयन कराया था। पिछली बार साल 2022 में साल 2021 के मुताबिक 75 फीसदी ही किसानों ने पंजीयन कराने में रुचि दिखाई थी। साल 2021 में समर्थन मूल्य पर गेहूं के भाव 1975 रूपए थे।
जिसे साल 2022 में बढ़ाकर 2015 रुपए कर दिया था। इसके बावजूद भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं न बेचकर मंडी में व्यापारियों को गेहूं बेचा था। जहां प्रति क्विंटल 2100 से 2200 रुपए बिका था। अब इस बार साल 2023 में और अधिक मंडी में भाव मिलने पर किसान के द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं डालना मुश्किल दिखाई दे रहा है।
साल 2023 में इस बार शासन ने समर्थन मूल्य पर गेहूं के भाव 2125 कर दिए है। जिसके लिए पंजीयन 1 फरवरी से शुरू होंगे। इस बार जिले में 2 लाख 29 हजार हेक्टेयर का रकबा रबी सीजन का रखा गया है। इसमें गेहूं का रकबा 1 लाख 94 हजार हेक्टेयर है।
फसल अच्छी रही तो 2400 से 2500 तक प्रति क्विंटल बिक सकती
मंडी के व्यापारियों के मुताबिक वर्तमान में गेहूं के भाव 2980 से 3015 प्रति क्विंटल चल रहे है। इस समय गेहूं के दाम किसानों को ज्यादा मिल रहे है। कृषि उपज मंडी में दो सौ से ढाई सौ क्विंटल गेहूं अभी आ रहा है। गेहूं के दाम बढ़ने का कारण यह भी है कि जिले में गेहूं की फसल न मात्र की बची है। साथ ही जिले से बड़ी मात्रा में गेहूं की ट्रांसपोर्टिंग होने से कमी भी दिखाई दे रही है। जिससे गेहूं के दाम बढ़ गए हैं। आने वाली फसल में अगर बंफर पैदावार होती है तो 2400 से 2500 तक प्रति क्विंटल बिक सकती है। इससे कम दाम नहीं होंगे।
फसल विक्रय किसानों के ऊपर निर्भर करेगी
पंजीयन अगले महीने से शुरू किए जा रहे है। पिछली बार पंजीयन कई किसानों ने कराए थे, लेकिन कम किसानों ने ही समर्थन मूल्य पर फसल डाली थी। इस बार समर्थन मूल्य की राशि भी बढ़ा दी गई है। फसल विक्रय कहां करते है, यह किसानों के ऊपर निर्भर करता है। -भरत राजवंशी, उपसंचालक कृषि विभाग टीकमगढ़
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