त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते क्षेत्र में 8 जुलाई को मतदान होना है, वहीं दूसरी ओर गांव के मोयाखेड़ा के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय ले लिया है। जिससे स्थानीय प्रशासन में भी हडकंप मच गया। गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में न तो सड़क का पता है, ना ही पानी और बिजली की सुविधा है। ऐसे में इस बार सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि जब तक गांव में सडक नहीं, तब तक वोट नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम मोयाखेड़ा से लसुडिया श्रीपंथ पहुंच मार्ग की हालत जर्जर होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मार्ग की लंबाई 2 किलोमीटर तक है। मार्ग का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों काे आवाजाही में दिक्कतें उठाना पड़ रही है। बारिश के मौसम में हालत और खराब हो जाते है। इतना ही नहीं बरसात शुरू होने के बाद सड़कों पर कीचड़ फैला हुआ है। जिससे वाहन निकलना तो दुर कोई पैदल भी नहीं निकल सकता। ग्रामीणों ने बताया कि समस्या को लेकर कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है। ऐसे में हमारे पास चुनाव बहिष्कार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
गांव में रहता है जलसंकट
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जल संकट बना रहता है। जिसको लेकर कई बार जिम्मेदारों और जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में ग्रामीण दुर दराज के निजी नलकूल एवं ट्युबवेल से पानी की पूर्ति करना पड़ रही है। वहीं गर्मी के मौसम में हालात और भी अधिक बिगड़ जाते है। गांव की कुल आबादी लगभग 350 है। वहीं मतदाताओं की संख्या 280 के करीब है।
ठोस आश्वासन नहीं मिलने से नाराज हुए ग्रामीण
चुनाव का बहिष्कार की घोषणा का निर्णय करने के बाद मंगलवार को ग्राम माेयाखेड़ा के ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे। जहां पर एसडीएम केसी ठाकुर से मुलाकात कर ग्रामीणों की समस्या से अवगत कराया। लेकिन एसडीएम की ओर से ग्रामीणों की समस्या पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने से ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। एसडीएम कैलाशचंद्र ठाकुर ने कहा कि ग्रामीणों को समझाइश दी थी लेकिन नहीं माने। अधिकारियों को भी गांव में भेजा है।
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