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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नईदिल्ली ने 7 अप्रैल को एक याचिका में आदेश पारित किया है। नागदा के शंकरलाल प्रजापत और भोपाल के सोशल एक्टिविस्ट दिनेश प्रजापति द्वारा एनजीटी को एक याचिका प्रस्तुत की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं द्वारा एनजीटी नईदिल्ली को अवगत कराया कि नागदा एवं आसपास के गांवों में ग्रेसिम इंडस्ट्रीज के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण हो रहा है। उद्योग से निकला केमिकल एवं दूषित जल नाले के माध्यम से चंबल नदी में मिल रहा है।
एनजीटी नईदिल्ली ने याचिका स्वीकार करते हुए उद्योग प्रबंधन का आवेदन खारिज किया और यह आदेश दिया कि उद्योग द्वारा प्रदूषण फैलाया जा रहा है। इसलिए पोल्यूटर पे के सिद्धांत के आधार पर ग्रेसिम इंडस्ट्रीज को 75 लाख रुपए का कंपनसेशन देना होगा। एनजीटी ने कलेक्टर उज्जैन को आदेश दिया है कि ज्वाइंट कमेटी के निर्देशों का उद्योग प्रबंधन से पालन करवाएं। कलेक्टर उज्जैन को हर तीन माह में सेक्रेटरी पर्यावरण विभाग मप्र को रिपोर्ट भेजना है। याचिकाकर्ता प्रजापत द्वारा एनजीटी में बताया कि उद्योग के केमिकलयुक्त प्रदूषण से 22 गांवों के लोगो को गंभीर बीमारी हो चुकी है। इधर उद्योग प्रबंधन के पीआरओ संजय व्यास ने कहा उद्योग प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट में जाएगा।
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