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नगर की आबोहवा में केमिकल का रोजाना साइलेंट अटैक हो रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि औद्योगिक प्रदूषण की वजह से रोजाना छोटी-छोटी पीली बूंदों के रूप में नगर में अम्लीय वर्षा हो रही है, जो न सिर्फ लोगों के लिए हानिकारक है, बल्कि अन्य निर्जीव वस्तुओं पर भी धीमा प्रभाव होता है।
सर्दी के सीजन में नमी ऊपर की ओर नहीं जा पाने के कारण क्लोरीन के रूप में यह एसिड अम्लीय वर्षा के रूप में बरस रहा है। औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के इलाके मेहतवास, दुर्गापुरा, बिरला मंदिर के पीछे का क्षेत्र, अमलावदिया रोड, सर्किट हाउस, तहसील कार्यालय आदि क्षेत्रों में रोज इस दौरान अम्लीय वर्षा हो रही है। कभी पीली बूंदों के रूप में तो कभी पीले पाउडर के रूप में यह अम्लीय वर्षा होती है।
मेहतवास-दुर्गापुरा जैसे इलाकों में गहरे रंग की गाड़ियों पर इन पीले रंग की छोटी-छोटी बूंदों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस अम्लीय वर्षा की सबसे बड़ी वजह उद्योगों का प्रदूषण है। खास बात यह है कि अब तक इस ओर न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का ध्यान गया और न ही स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का। लिहाजा केमिकल का यह साइलेंट अटैक रोज नगर के हजारों लोगों के बीच हो रहा है।
प्रोडक्ट की होड़ में क्लोरीन को गर्म करके रात में फैलाया जाता है प्रदूषण
चंबल बचाओ आंदोलन के संयोजक दिनेश दुबे ने बताया नगर में क्लोरीन बनाने वाले उद्योग अत्यधिक मात्रा में अपना मुख्य प्रोडक्ट बनाने की होड़ में प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप क्लोरीन गैस बहुत ज्यादा मात्रा में उत्पन्न होती है। बाजार में यह क्लोरीन नहीं बिकने की दशा में रात को क्लोरीन को गर्म करके गैस के रूप में छोड़ दिया जाता है, जो पूरे वायुमंडल में फैल जाती है। जब वायुमंडल इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता तो यह छोटी-छोटी पीली बूंदों और पावडर के रूप में बरसता है, जो हानिकारक है।
इन चार उद्योगों में प्रमुख रूप से किया जाता है क्लोरीन का उपयोग
एक्सपर्ट व्यू- डॉ. डीएम कुमावत विभागाध्यक्ष, पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय
जहां इंडस्ट्रीयल एरिया ज्यादा प्रदूषित, वहां अम्लीय वर्षा
सर्दी के मौसम में ठंड से आर्द्रता नीचे की ओर होती है और नमी ऊपर नहीं जा पाती है। जिन इंडस्ट्रीयल एरिया में ज्यादा प्रदूषण होता है, वहां सर्दी के मौसम में ऐसी अम्लीय वर्षा होती है। उद्योगों से निकलने वाले धुएं में सल्फरडाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड होते हैं। नमी के साथ घुलकर यही नीचे गिरते हैं। वायुमंडल में मौजूद पानी के साथ मिलकर यह अम्ल बना देती है। जमीन पर यह अम्लीय वर्षा के रूप में गिरते हैं। इससे सांस लेने, फेफड़ों, अस्थमा, आंखों में जलन, त्वचा पर खुजली, धातुओं पर जंग जैसी समस्याएं आती हैं।
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