हिंदू पंचांग के अनुसार 5वें महीने भाद्रपद (भादो) में पड़ने वाली अमावस्या को कुशगृहिणी अमावस्या कहा जाता है। इस बार शनिवार का दिन होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी है। लेकिन इसकी तिथि 26 अगस्त दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से ही शुरू हो चुकी है। समापन 27 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर होगा। भादो में शनिवार को अमावस्या का ये संयोग 14 साल बाद बना है। भादो में शनिश्चरी अमावस्या का ऐसा संयोग 30 अगस्त 2008 को बना था। अब 23 अगस्त 2025 यानी दो साल बाद भादो में शनिवार को अमावस्या पड़ेगी। इस शनि अमावस्या पर शिव योग और पद्म योग का संयोग भी बन रहा है।
भादो में आने वाली ये साल की अंतिम शनि अमावस्या रहेगी। शनि अमावस्या पर उज्जैन शहर के त्रिवेणी स्थित नवग्रह शनि मंदिर में हजारों श्रद्धालु अपने ग्रह सुधार की कामना लेकर आते हैं। विश्व में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां नवग्रह के साथ दशा का भी मंदिर है। दैनिक भास्कर ने मंदिर से ग्राउंड रिपोर्ट की, खबर में आगे जानेंगे क्या है मंदिर का इतिहास? पहले जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या दूसरी अमावस्या से क्यों खास है...
पं. जितेंद्र बैरागी के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। यही वजह इसे खास बनाती है। मंदिर में शनि की पूजा दशा स्वरूप में होती है। पहली दशा साढ़े साती और दूसरी ढैया के रूप में विराजित है। जिस किसी श्रद्धालु की राशि में शनि बैठा हो, उसे यहां आकर आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु त्रिवेणी में स्नान कर भगवान नवग्रह के दर्शन करते हैं। इसके बाद शनि की दोनों दशा के साथ नवग्रह पूजन से राशियों में पड़ने वाले ग्रह की दशा सुधर जाती है।
अब जानिए नवग्रह पूजा में किसे का चढ़ाया जाता है
पं. जितेंद्र बैरागी ने बताया कि इस दिन शिप्रा में स्नान के बाद सूर्य को लाल वस्त्र और गेहूं चढ़ाया जाता है। चंद्र को चावल और सफेद वस्त्र, मंगल को लाल वस्त्र और मसूर की दाल, बुध को हरी मूंग दाल और हरा कपड़ा, गुरु को चने की दाल और पीला वस्त्र, शनि को उड़द, तिल, खड़ा नमक सहित तेल, राहु को बाजरा चढ़ाया जाता है। केतु को जौ चढ़ाकर भक्त अपने ऊपर लगी दशा से छुटकारा पा सकते हैं।
कपड़े और जूते-चप्पल दान का ये है महत्व
मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु स्नान के बाद अपने जूते, चप्पल और कपडे़ दान स्वरूप वहीं छोड़कर जाते हैं। अमावस्या पर देशभर से आने वाले श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पर जूतों और कपड़ों को छोड़ देते हैं। दान स्वरूप छोड़े गए जूतों और कपड़ों को प्रशासन नीलाम करवा देता है। पं. जितेंद्र बैरागी के अनुसार शनिचर पर दान करने से दरिद्रता दूर होती है। कष्टों का निवारण होता है।
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