उज्जैन जिला प्रशासन की सख्ती और गाइड लाइन जारी करने के बाद भी देवी मां की प्रतिमा का विसर्जन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी के घाटों पर पहुंचे। खास बात है कि न सिर्फ उज्जैन से, बल्कि इंदौर से भी श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी में मूर्ति विसर्जन के पश्चात पूजन सामग्री नदी में बहा दी। इससे शिप्रा नदी फूलों से प्रदूषित दिखाई देने लगी है। हालांकि मूर्ति विसर्जन को रोकने के लिए घाटों पर एसएएफ, होमगार्ड और निगम कर्मी को लगाया गया था। इसके बावजूद भी कई लोग शिप्रा नदी को प्रदूषित करने से नहीं चुके।
मोक्ष दायिनी मां शिप्रा को साफ स्वच्छ और प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रशासन ने गणेश प्रतिमा और नवरात्र के समापन को लेकर प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था। घाटों पर श्रद्धालु मूर्तियां लेकर और पूजन समाग्री नदी में प्रवाहित करने से रोकने के लिए प्रशासन ने एसएएफ, पुलिस बल, होमगार्ड सहित निगम कर्मियों को तैनात किया था। शुक्रवार को सुबह कई श्रद्धालुओं को तो प्रशासन ने मूर्ति विसर्जन करने से रोक दिया, लेकिन शाम होते-होते शिप्रा नदी के रामघाट पर श्रद्धालुओं ने मूर्ति विसर्जन करना शुरू कर दिया।
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि कुछ फोटो रामघाट के देखने को मिले हैं। नगर निगम अधिकारी को मूर्ति विसर्जन करने से रोकने के लिए और बेहतर उपाय करने के लिए कहा जा रहा है।
इंदौर में नहीं करने दिया तो रामघाट पर विसर्जन
इंदौर में स्वच्छता का पंच लगाने के लिए कान्ह नदी और अन्य जगहों की सफाई का ध्यान रखते हुए प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबन्ध लगा है। शिप्रा नदी में विसर्जन करते हुए सुरक्षा कर्मी देखते रहे। विसर्जन देर रात तक चलता रहा। इससे शनिवार सुबह से ही शिप्रा नदी पूजन सामग्री से प्रदूषित दिखाई दी।
वैकल्पिक व्यवस्था लेकिन नहीं माने लोग
नगर निगम ने मूर्ति विसर्जन के लिए अलग-अलग जगह गाड़ियां रखवाई थीं, ताकि घरों और पंडालों से से आने वाली मूर्तियों को गाड़ी में ही विसर्जित किया जा सके। इसके लिए शिप्रा नदी, त्रिवेणी, लालपुल समेत अन्य जगहों पर गाड़ियां रखी गईं। हालांकि कुछ लोगों ने निगम की गाड़ियों में माता की मूर्ति का विसर्जन किया, लेकिन सुरक्षा कर्मियों के होने के बावजूद भी कई लोग नहीं माने और शिप्रा को प्रदूषित कर गए।
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