शासन के पत्र के बाद विश्वविद्यालय में मची हलचल:वर्ष 2018 से सालाना 3 करोड रुपए के हिसाब से मांगी राशि

उज्जैन2 महीने पहले
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शासन के उच्च शिक्षा विभाग से विश्वविद्यालय पहुंचे एक पत्र से हलचल मच गई है। कारण है कि शासन ने वर्ष 2018 से बाकी पेंशन फंड की सालाना राशि 3 करोड़ के हिसाब से मांगी है। यह पत्र विक्रम विश्वविद्यालय भी पहुंचा है। पत्र में स्पष्ट कहा है कि यदि पेंशन फंड के लिए राशि नहीं दी जाती है, तो शासन विश्वविद्यालयों को सालाना दी जाने वाली फंड की राशि से कटौत्री करेगा। हालांकि कहा जा रहा है कि शासन ने पत्र के माध्यम से फिलहाल जानकारी मांगी है। विश्वविद्यालय पूर्व में कुछ राशि पहले ही अदा कर चुका है।

विक्रम विश्वविद्यालय में शुक्रवार को शासन के उच्च शिक्षा विभाग से पहुंचे पत्र को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कहा जा रहा है कि एक ओर तो शासन वार्षिक अनुदान की राशि नही दे रहा है। वहीं पेंशन फंड के लिए पिछले पांच वर्षो की राशि एक साथ मांगी है। इसके कारण विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति खराब हो सकती है। इसके पीछे कारण यह भी बताया जा रहा है कि गत वर्ष विक्रम को दी जाने वाली अनुदान राशि करीब 7 करोड़ रूपए शासन ने पहले ही पेंशन फंड के लिए काट ली है। इसके अलावा 4 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि विश्वविद्यालय ने नवंबर 2022 शासन को भी हैं। शासन ने साढ़े चार करोड़ की यह राशि 139 प्रतिशत के स्थान पर 164 प्रतिशत डीए देने और सातवें वेतनमान के अनुसार पेंशन प्रदान करने के नाम पर ली है। बात सामने यह भी आई है कि अभी तक सेवानिवृत होने वाले शिक्षक, अधिकारी या कर्मचारी को पेंशन 7 वें वेतनमान के आधार पर नही दी जा रही है। ऐसे में शासन द्वारा पेंशन फंड से दी जा रही राशि को लेकर कर्मचारियों में अंसतोष भी है। हालांकि कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक का कहना है कि शासन से जो पत्र आया है, उसमें पेंशन फंड में विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2018 से दी जाने वाली राशि लेकर जानकारी मांगी गई है।

वित्तीय स्थिति- 60 करोड़ आय, 50 करोड़ खर्च

विक्रम विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति लेखा विभाग के अनुसार विद्यार्थियों के प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क, कॉलेजों की संबद्धता शुल्क से सालाना करीब 60 करोड़ रुपए की आय प्राप्त होती है। जबकि विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, नियमित कर्मचारी, स्थाई कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी कर्मी, अतिथि शिक्षक के वेतन पर सालाना करीब 50 करोड़ रुपए व्यय होते है। इसके अलावा करीब 4 करोड रुपए की राशि सालाना सभी वर्ग के वर्ष में दो बार डीए और वेतन वृद्धि के दौरान खर्च होती है। वहीं दिवंगत और सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को अर्जित अवकाश और ग्रेजुएटी की राशि भी प्राप्त आय से दी जाती है। इसके अलावा हाल ही में करीब 50 लाख रुपए की स्वीकृति कार्य परिषद द्वारा शासन को देने के लिए दी गई है।

11.50 करोड़ दे चुके अब 3.50 करोड़ बाकी

शासन से आए पत्र में वर्ष 2018 से पेंशन फंड में प्रति वर्ष 3 करोड़ की राशि मांगी गई है। ऐसे में पांच वर्ष की राशि करीब 15 करोड़ होगी। सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय द्वारा शासन को पूर्व में 4.50 करोड़ की राशि देने के साथ ही गत वर्ष की शासन द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि करीब 7 करोड़ रूपए भी पेंशन फंड के लिए काटी गई है। इसके आधार पर विक्रम करीब 11.50 करोड़ शासन को दे चुका है। ऐसे में शेष राशि करीब 3.50 करोड़ देना पड़ सकती है। हालांकि अब विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बजट बैठक में ही राशि को लेकर निर्णय किया जा सकता है