गणेशोत्सव के आज 8वें दिन हम आपको उज्जैन के दुर्मुख गणेश मंदिर के दर्शन करा रहे हैं। ये मंदिर काफी प्राचीन है। खुद भगवान राम ने इस मंदिर में गणेश प्रतिमा की स्थापना की थी। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंतिखंड में मिलता है। मंदिर में विराजित गणेश को दुमुर्ख विनायक यानी 'चोर गणेश' के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है।
मंदिर उज्जैन के खाकचौक में है। यह स्थान शहर के षड्विनायक मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में गणपति बप्पा की प्रतिमा की सूंड बाएं हाथ की ओर उठी हुई है। आमतौर पर बप्पा की सूंड दाएं हाथ की ओर उठी हुई होती है। षड्विनायक उन मंदिरों को कहा जाता है, जिनकी उज्जैन में वनवास के दौरान खुद भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने स्थापना की थी।
अब जानिए, क्यों पड़ा 'चोर गणेश' नाम...
मंदिर के व्यवस्थापक दीपक भाटी ने बताया कि इस मंदिर में चोर, चोरी के माल का बंटवारा करते थे। कुछ हिस्सा भगवान गणेश को भी चढ़ा देते थे। कई साल तक शहर में हुई चोरियों के माल का कुछ हिस्सा मंदिर में मिलता रहा। इस वजह से यहां विराजित भगवान गणेश का नाम 'चोर गणेश' हो गया।
उज्जयिनी के षड्विनायक मंदिर में से एक है ये मंदिर
स्कंद पुराण के अवंतिखंड में उज्जयिनी में षड्विनायक का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि 14 साल के वनवास के दौरान जब श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण उज्जैन आए थे, तब उन्होंने 6 गणेश मंदिरों की स्थापना की थी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तक 10 दिन इन मंदिरों में भगवान गणेश के दर्शन पूजन के लिए भक्तों का तांता लगता है।
दस दिन तक विशेष श्रृंगार
गणेश उत्सव के दौरान चोर गणेश मंदिर में तीन समय भगवान की आरती के साथ साथ 10 दिन तक रोजाना श्रृंगार किया जाता है। दूर-दूर से भक्त भगवान 'चोर गणेश' के दर्शन के लिए खाक स्थित मंदिर पहुंचते हैं।
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