भगवान महाकाल की शाही सवारी:उज्जैन में मनमहेश के रूप भक्तों को दिए दर्शन, हरि-हर मिलन के बाद महाकाल मंदिर पहुंची सवारी

उज्जैन10 महीने पहले
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श्रावण महीने में पहले सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की पहली सवारी निकल रही है। परंपरा अनुसार सभा मंडप में भगवान महाकाल का मनमहेश रूप में पूजन-अर्चन किया गया। मंदिर के राजाधिराज को मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कलेक्टर आशीष सिंह ने परिवार समेत महाकाल का पूजन किया। इसके बाद पालकी शिप्रा तट की ओर निकली।

सवारी में सबसे आगे अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, नगर सैनिक और सशस्त्र बल की टुकड़ी मार्च पास्ट करते चल रही है। सवारी मोक्ष दायिनी शिप्रा के तट पर पहुंची। यहां जल से भगवान का अभिषेक कर सवारी गोपाल मंदिर पहुंची है। यहां हरि-हर का मिला के बाद सवारी वापस महाकाल मंदिर के लिए पहुंच गई है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से शाम 4 बजे शाही ठाठ-बाट के साथ अवंतिकानाथ की पालकी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। सवारी के लिए लाल कारपेट बिछाया गया था। सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां भगवान का शिप्रा जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए दोबारा मंदिर पहुंचेगी।

महाकाल भक्तों को मनमहेश रूप में दर्शन दे रहे हैं।
महाकाल भक्तों को मनमहेश रूप में दर्शन दे रहे हैं।

दो साल बाद सवारी में शामिल होंगे भक्त

पांच किमी लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे तक भक्ति का उल्लास छाएगा। अवंतिका नाथ के स्वागत के लिए बड़ी संख्या में प्रजा रास्तों में खड़े होकर भगवान महाकाल की सवारी का इंतजार कर रही थी। दरअसल, कोरोना के कारण बीते दो साल तक महाकाल की सवारी तो निकली, लेकिन उसमें भक्तों को प्रवेश नहीं दिया गया था।

महाकाल की शाही सवारी में भक्तों की भीड़ मौजूद है।
महाकाल की शाही सवारी में भक्तों की भीड़ मौजूद है।

रात 2:30 बजे से मंदिर के पट खुल गए

श्रावण मास के पहले सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर में बाबा के भक्तों का तांता है। तड़के 2.30 बजे से ही मंदिर के पट खुल गए। 3 बजे भगवान महाकालेश्वर का जलाभिषेक कर दही, दूध, पंचामृत से अभिषेक हुआ। भस्म रमाने के बाद भांग और सूखे मेवे से श्रृंगार कर आरती हुई। भगवान महाकाल की सवारी शाम 4:15 बजे शुरू हो गई है। मंदिर पर कलेक्टर और एसपी ने सवारी का पूजन किया।

भस्म आरती के लिए भक्त रात 12 बजे से ही लाइन में आकर खड़े हो गए थे। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की ओर से बाबा महाकाल को भस्म रमाई गई। भस्म आरती के दौरान महाकाल का भांग, चंदन, सिंदूर और आभूषणों से राजा के रूप में श्रृंगार किया गया। मस्तक पर तिलक और सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुंडमाला और रजत जड़ी रुद्राक्ष की माला के साथ साथ बिल पत्र और सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई। फलों और मिष्ठान का भोग लगाया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई।

यह करें, यह न करें

  • व्यापारी: सवारी मार्ग में सड़क की ओर व्यापारी भट्टी चालू न रखें। न ही तेल का कड़ाव रखें।
  • दर्शनार्थी: सवारी में उल्टी दिशा में न चलें और सवारी निकलने तक अपने स्थान पर खड़े रहें।
  • पार्किंग: गलियों में वाहन न रखें। सवारी मार्ग पर बड़े वाहन न लाएं।
  • प्रसादी: सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल न फेकें।

कब, किस स्वरूप में दर्शन देंगे

  • दूसरी सवारी 25 जुलाई को: पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश विराजित होंगे।
  • तीसरी सवारी 1 अगस्त को: पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव स्वरूप विराजित होंगे।
  • चौथी सवारी 8 अगस्त को: पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव स्वरूप और नंदी रथ पर उमा-महेश विराजित होंगे।
  • पांचवीं सवारी 15 अगस्त को: पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव स्वरूप, नंदी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद रहेगा।
  • शाही सवारी 22 अगस्त को निकलेगी।
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