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गेहूं खरीदी में इस बार अफसरों की गलती का खामियाजा अन्नदाता भुगत रहे है। कड़ाके की सर्दी में पूरी रात फसल की सिंचाई करने वाले किसानों को अब उपज बेचने के लिए 44-45 डिग्री भीषण गर्मी झेलना पड़ रही है। खरीदी केंद्रों पर एक सप्ताह से ज्यादा समय तक इंतजार करने के बाद भी उनकी उपज का तौल नहीं हो पाया। इधर, सोसायटी के अधिकारी बारदान नहीं होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ने लगे हैं। किसानों को समझाने के लिए अब जिन केंद्रों पर 2 से ढाई किमी दूर तक ट्रैक्टरों की कतार लगी है, वहां सिर्फ बारदान की 10 गठानें भेजी जा रही है। प्रत्येक गठान में 500 बारदान के हिसाब से एक केंद्र पर कुल 5 हजार बारदान मिलते हैं। इस कारण 10 हजार क्विंटल गेहूं लिए खड़े किसानों में से सिर्फ 2500 क्विंटल का ही तौल हो पाता है। बाकी किसानों को अगले दिन तौल होने की बात कह दी जाती है। भारतीय किसान संघ के मीडिया प्रभारी राजबहादुरसिंह गुर्जर ने कहा अधिकारियों का यह तरीका गलत है। संघ के प्रांतीय सदस्य व पूर्व जिलाध्यक्ष मोहन चौधरी ने बताया कि किसानों की यह परेशानी असहनीय हो गई है। अधिकारियों को लॉकडाउन का पालन करते हुए ज्ञापन सौंपकर समस्याओं के निराकरण की मांग की गई है। यदि इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो उच्च स्तर पर चर्चा कर अलग से रणनीति बनाई जाएगी। बारदान की आपूर्ति के लिए प्रशासन ने पीडीएस की पुरानी खाली कटि्टयों को ढूंढवाकर उन्हें भी उपयोग में ले ली। लेकिन ये बारदान ऊंट के मुंह में जीरे के समान रहा। यदि अफसराें का यही रुख रखा तो कई किसान उपज ही नहीं बेच सकेंगे। केंद्रों पर लाइन में खड़े किसानों का 30 मई तक नंबर ही नहीं आएगा और इसके बाद खरीदी बंद हो जाएगी। भंडारण की चुनौती जो गेहूं खरीदा जा रहा है। उसका भंडारण प्रशासन के लिए सबसे बडी चुनौती है। इन अनाज का भंडारण करने के लिए जिले में अब वेयर हाउस ही नहीं बचे। ऐसे में खुले में पड़े गेहूं पर आंधी बारिश का खतरा रहेगा।
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