उज्जैन। बसंती पंचमी का पर्व इस बार 26 जनवरी को है। पुराने शहर में पानदरिबा क्षेत्र में स्थित विद्या की देवी सरस्वती माता के छोटे से मंदिर में बसंत पंचमी पर बच्चों और स्कूल के विद्यार्थियों की भीड़ लगती है। यहां सरस्वती माता को प्रसन्न करने के लिए विद्यार्थी स्याही और पीले बसंती पुष्प माता को अर्पित करते है। मान्यता है कि माता प्रसन्न होकर विद्या और बुद्धि प्रदान करती है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व गुरुवार को मीन राशि के चंद्रमा की उपस्थिति तथा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं शिव योग में है। बसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती की पूजन का दिन होता है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योगों का बड़ा महत्व है। बसंत पंचमी इस बार शिव योग में आ रही है। शिव योग में स्वयं भगवान शिव से संबंधित है और इस युग में चिरकाल तक अपने कार्य की सिद्धि अथवा बुद्धि की प्रगति के लिए पूजन की मान्यता है।
सायंकाल में सर्वसिद्धि व रवि योग
गुरूवार को सायं 6:58 पर नक्षत्र परिवर्तन होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा, वहीं रवि योग भी रहेगा। माघी गुप्त नवरात्रि की यह पंचमी विशेष महत्वपूर्ण होती है। इस दृष्टि से वैदिक तंत्र को दृष्टिगत रखते हुए इस कालखंड में साधना का विशेष लाभ भी मिलता है।
विद्या प्राप्ति के लिए करें सरस्वती पूजन
विद्यार्थियों को विद्या एवं बुद्धि को प्रबल बनाने तथा संस्कार की प्राप्ति के लिए माता सरस्वती का पूजन प्रात: काल करना चाहिए। यह करने से विद्या बुद्धि की प्राप्ति होती है और वाणी पर शिक्षित संस्कार के रूप में माता सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
मध्य रात्रि में रति और कामदेव की पूजन की भी मान्यता
शास्त्रीय अभिमत के अनुसार बसंत पंचमी के दिन रति और कामदेव की पूजन की भी मान्यता प्रचलित है। पति पत्नी के मध्य प्रेम संबंध में वैचारिक भिन्नता आती हो, उन्हें रती कामदेव की प्रसन्नता के लिए पूजन करना चाहिए।
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