उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में इस जन्माष्टमी पर (19 अगस्त) श्रीकृष्ण को जापानी मोतियों से जड़ी रेशम की पोशाक पहनाई जाएगी। सिल्क के कपड़े पर रेशम के धागे से तोते और गुलाब उकेरे गए हैं। श्रीकृष्ण के अलावा मंदिर में विराजित बलराम, राधा के लिए भी पोशाकें बनाई जा रही हैं। बंगाल से बुलाए गए 12 कारीगर 3 महीने से कुल 6 पोशाकें तैयार कर रहे हैं। कीमत 6 लाख रुपए से ज्यादा है। सिर्फ श्रीकृष्ण की पोशाक की कीमत 1.50 लाख से अधिक है। बता दें, उज्जैन में श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम ने गुरु संदीपनि के आश्रम में अध्ययन किया था।
भगवान श्रीकृष्ण की पोशाक में उपयोग की गई अधिकांश सामग्री जापान से मंगवाई गई है। जापान से आए मोतियों से ही कढ़ाई की जा रही है। खास धागे मुंबई से तो सिल्क का कपड़ा दिल्ली से मंगाया गया है। कुछ सामान बनारस से भी मंगवाया है। पोशाक को फाइनल टच दिया जाना बाकी है। साउथ अफ्रीका के इस्कॉन टेंपल के लिए भी यहीं उज्जैन में पोशाक बनाई जा रही है।
भगवान की पोशाक का सिल्क आम सिल्क से चार गुना महंगा
भगवान की पोशाक बनाने में निर्मला नंद दास, पंकज दास, विजय, बाबूसोना, षट्भुज प्रकाश, ब्रजेंद्र दिवाकर दीप समेत अन्य कारीगर जुटे हैं। ये सभी हाथों से नक्काशी और कारीगरी कर खूबसूरत पोशाक बना रहे हैं। जगन्नाथ भगवान, सुमित्रा महारानी और बलदेवजी के वस्त्र जापानी मोती, जापानी कढ़ाई और हैवी सिल्क के कपड़े से तैयार की जा रही है। कारीगर निर्मला दास ने बताया कि हर बार पोशाक को नए डिजाइन में तैयार करते हैं। इस बार भगवान की पोशाक में फूल और तोते को बनाया गया है। पोशाक में लगने वाला मटेरियल आमतौर पर बिकने वाले सिल्क से चार गुना महंगा होता है।
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