उज्जैन आए गीतकार मनोज मुंतशिर ने मुगलों को लुटेरा बताते हुए उन पर जमकर निशाना साधा। मुगलकाल में मंदिरों को तोड़े जाने का जिक्र करते हुए मुंतशिर ने कहा- अल्लाह-हू-अकबर बोल-बोलकर तबाही मचाई गई। प्यार के नाम पर ताजमहल खड़ा कर दिया गया, वो भी तब, जब देश में भुखमरी थी।
मुंतशिर गौरव दिवस की पूर्व संध्या पर परफॉर्म करने आए थे। शनिवार को गुड़ी पड़वा पर शहर में गौरव दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर शाम को होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे।
हमें पूरा इतिहास गलत पढ़ाया गया
मनोज ने कहा कि हमें बताया गया कि शेरशाह सूरी, अकबर, खिलजी नहीं होते तो हम सिर्फ पत्ते लपेटकर नाच रहे होते। अब इन मूर्खों को कौन बताए इनके पहले मोहनजोदाड़ो था। यहां जो हम शहरों में व्यवस्थाएं देखते हैं, ये सब उस मोहनजोदड़ो के काल में थीं। मुंतिशर ने सुशांत सिंह राजपूत को याद करते हुए युवाओं से कहा- आप अपने इरादों को मरने मत दीजिए। आपकी प्रतिभा ऐलान करेगी कि आपका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि हम नहीं होते तो कविताएं नहीं होती, उन्हें कौन बताए कि इस देश में उनसे पहले महाकवि कालिदास हुए हैं, जिनकी कर्मभूमि उज्जैन रही है।
श्रीराम के बनाए पुल को प्रेम की निशानी मानो, उस पर गर्व करो
मुंतशिर ने कहा- शाहजहां ने ताजमहल बनवाने में 9 करोड़ रुपए तब खर्च कर दिए, जब देश भुखमरी के दौर में था। 35 लाख लोग दम तोड़ चुके थे। इन पैसों से देश की गरीबी मिट सकती थी। लेकिन, ताजमहल खड़ा कर दिया...। ये हमारी बदकिस्मती थी कि हमने ऐसे लुटेरों को देखा। दाएं तरफ से लिखे इस इतिहास को गर्व से बताकर गरीब जनता के प्रेम का मजाक उड़ाया। प्रेम की निशानी ही जानना है तो चित्तौड़ किले का इतिहास जानो, जहां माता पद्मिनी ने राजा रतन सिंह के वियोग में खुद को जलती लपटों में झोंक दिया। प्रेम का मतलब जानना ही है तो राजा राम द्वारा माता सीता के लिए बनाए गए समुद्र को चीरते हुए उस पुल पर गर्व करो, जो प्रेम की निशानी है।
उज्जैन को बताया गौरवशाली शहर
मुंतशिर ने कहा कि मैं यही बात सोचकर गौरवांवित महसूस कर रहा हूं कि मैं मंगल ग्रह की जन्मभूमि उज्जैन में खड़ा हूं। महाकवि कालिदास की कर्मभूमि पर खड़ा हूं। दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकाल की नगरी में खड़ा हूं। श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली में खड़ा हूं। राजा विक्रमादित्य की नगरी में खड़ा हूं। समुद्र मंथन से निकला अमृत जहां छलका था, उस अवंतिका नगरी में खड़ा हूं।
उज्जैन के शहीद पार्क पर रात 10 बजे शुरू हुए प्रोग्राम में मनोज मुंतशिर ने अपने लिखे गीतों को सुनाया। उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने प्रदेश के लिए वो कर दिखाया, जो इतिहास बन गया। आपने सबसे पहले प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू करवाई, जिसमें भगवद्गीता, रामायण जैसे पवित्र ग्रंथों को पढ़ाया जाएगा।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.