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जनवरी की तपन ने गेहूं की सेहत पर भी असर डाल दिया है। किसानों का कहना है कि पहली बार गेहूं पर इल्लियों का हमला हुआ है। अब तक चने में इल्लियां होना आम समझा जाता था। इससे पैदावार में गिरावट आने के साथ गेहूं का रंग भी हल्का होने की आशंका है। कृषि वैज्ञानिक का भी मानना है कि गेहूं में इल्लियां होने की शिकायत मिल रही है। इसका मुख्य कारण तापमान में बढ़ोतरी होना है। आमतौर पर जनवरी में सर्दी और हल्की धूप रहती है लेकिन इसके बाद दिन का तापमान 31.8 डिग्री तक पहुंच गया था हालांकि उसमें गिरावट भी दर्ज होने लगी है।
जवासिया कुमार के किसान अजय सिंह पटेल के अनुसार उनके गांव और आसपास के गांवों में किसानों ने गेहूं में मोला और भूरी इल्ली की शिकायत की है। लंबे समय से गेहूं की खेती कर रहे हैं लेकिन पहली बार गेहूं में इतनी बड़ी इल्लियां दिख रही हैं। इसका असर उपज पर होगा। एक महीने बाद मंडी में नए गेहूं की आवक शुरू हो जाएगी। ऐसे में किसानों की चिंता उन पौधों को लेकर है जिनमें बालियां आने के बाद दाने भरने लगे हैं। किसानों का कहना है जिस पौधे पर इल्लियों का हमला होता है वह सूख जाता है। उसमें फिर से बालियां नहीं आती न ही दाने भरते हैं।
अंडे से इल्लियां बनी, जो मिला उस पर हमला
हर साल जनवरी में तापमान कम होने से इल्लियों के अंडे खेत में ही खत्म हो जाते हैं। इस बार तापमान बढ़ने से वे अंडे इल्लियों में बदल गए। उन्हें खेत में जो उपज मिली, उस पर हमला बोल दिया। कृषि वैज्ञानिक डॉ.शैलेंद्र कौशिक के अनुसार इसका रासायनिक के साथ जैविक नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए एमिडा कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है। जैविक तरीके से नियंत्रण के लिए पंचपर्णी काड़ा या दसपर्णी काढ़ा भी स्प्रे कर सकते हैं।
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