मालवा में होली पर्व मनाने के लिए समाजों की अलग परंपरा है। श्री क्षत्रिय मारवाड़ी माली समाज द्वारा उर्दूपुरा में प्रतिवर्ष शीतला सप्तमी पर पति-पत्नी के बीच अनोखी होली खेली जाती है। महिलाओं के समूह के बीच से पति अपनी पत्नी को पहचान कर रंग से भरे कढ़ाव तक लाकर रंग से सराबोर करता है। माली समाज की यह परंपरा सिंधिया रियासत से चली आ रही है।
मंगलवार शाम को शीतला सप्तमी के अवसर पर संध्या के समय श्री क्षत्रिय मारवाड़ी माली समाज द्वारा पति-पत्नी के बीच अनोखी होली की शुरूआत हुई। माली समाज के सचिव रमेश चंद्र सांखला ने बताया कि समाज के सभी सदस्य शीतला सप्तमी पर समाज की उर्दूपुरा धर्मशाला में एकत्रित होकर होली का आयोजन करते है। इस होली में खास बात यह है कि केसरिया रंग से भरे कड़ाव पर पति पत्नी एक साथ होली खेलते है। सबसे पहले माइक पर समाज के पुरुष सदस्य के नाम की आवाज लगती है। संबंधित पुरुष द्वारा अपनी पत्नी को महिलाओं के समूह से खोजकर बाहर निकाल कर कड़ाव पर लाया जाता है। इसके बाद पति पत्नी द्वारा होली खेली जाती है। कढ़ाव में भरे रंग से पति और पत्नी एक-दूसरे पर रंग डालते है। अनोखी होली का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में समाज के सदस्य पहुंचते है।
सिंधिया रियासत से चल रही है परंपरा
श्री क्षत्रिय मारवाड़ी माली समाज की अनोखी होली की परंपरा मराठाकाल में सिंधिया रियासत के पूर्व से खेली जा रही है। सिंधिया रियासत के समय रियासत की महारानी भी होली देखने आते थी। उस समय ग्वालियर रियासत की ओर से माली समाज को ध्वजा निशान दिए है, जो आज भी समाज के मंदिर पर होली से शीतला सप्तमी तक लगाए जाते है। शहर के आस-पास से भी महिला और पुरुष अनोखी होली देखने आते है।
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