आज धनतेरस है। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आयु-आरोग्य की वृद्धि के लिए आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरि और सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी-कुबेर का पूजन किया जाता है।
मंगलवार के दिन त्रयोदशी आने के कारण यह दिन विशेष बन गया है। आज महाकाल का भी अभिषेक व श्रंगार किया जाएगा। आज सोम-मंगल प्रदोष व्रत भी है। पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस बार धन तेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है।
ऐसे बन रहा त्रिपुष्कर योग
धन तेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। यह त्रिपुष्कर योग तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से बना है। प्रात:काल द्वादशी तिथि, मंगलवार और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र से मिलकर त्रिपुष्कर योग बना है। इस योग में किया गया कार्य तीन गुना फल देता है।
धन्वंतरि मेडिकल कॉलेज में विशेष पूजा
आयुर्वेद के जनक और आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरि की पूजा खासतौर पर की जाएगी। धनवंतरि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। यहां बनी धनवंतरि टेकरी पर कॉलेज के सभी स्टाफ पूजा अर्चना करेगा। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रकाश जोशी ने कहा कि आज के दिन धनवंतरि जयंती को देश के छठे राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता धनवंतरि की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाएगा। शहर के कई आयुर्वेदिक डॉक्टर व आयुर्वेद के जानकार आज के दिन धनवंतरि की पूजा मंदिर में आकर करेंगे।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक
धनतेरस के दिन भगवान महाकाल का अभिषेक किया जाएगा। इस दिन महाकाल मंदिर के पुरोहित परिवार के सदस्य भगवान महाकाल का अभिषेक व पूजन करते हैं। पुरोहित समिति के सचिव लोकेश व्यास ने बताया कि सुबह 9 बजे शुरू होने वाला अभिषेक एक से डेढ़ घंटे तक चलेगा। इस दौरान नंदी हॉल में गणेशांबिका पूजन किया जाएगा।
इसके बाद गर्भगृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक होगा। नंदी हॉल में ही महाकाल की आरती की जाएगी। कोविड के चलते अधिकांश अतिथियों को नहीं बुलाया जाएगा। साथ ही चांदी के सिक्कों का वितरण भी नहीं होगा।
ऐसे करें धनतेरस पूजा
सूर्यास्त के बाद पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की प्रतिमा या चित्र की पूजा करें। कुबेर को मावे की सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करें। आज व्यापारी नई गादी बिछाई जाती है। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन किया जाता है। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन भी किया जाता है।
धनतेरस पर क्या खरीदें
धनतेरस के दिन कलश अथवा बर्तन खरीदने की परंपरा है। इसलिए इसके बाजार विशेष रूप से सजते हैं। उज्जैन में भी जवाहर मार्ग पर बर्तनों का बाजार पूरी तरह से सज गया है। हालांकि इस दिन चांदी से बने आभूषण अथवा बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस दिन शुभ मुहूर्त देखकर जमीन के सौदे होते हैं और वाहन भी खरीदने के लिए बाजार भी सज जाते हैं।
दीपदान का भी खास महत्व
इस बार इसी रात्रि में चतुर्दशी का दीपदान भी किया जाएगा। इसके लिए यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा में चार बत्ती वाला दीपक लगाएं। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।
धनतेरस पर पूजन मुहूर्त धनतेरस पूजन मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 2 नवंबर को प्रात: 11.32 बजे से, समाप्त 3 नवंबर को प्रात: 9.32 बजे समाप्त होगी।
शुभ मुहुर्त
शाम 6.32 से रात्रि 8.21 बजे तक
प्रदोष काल : सायं 5.48 से रात्रि 8.21 बजे तक
वृषभ लग्न : सायं 6.32 से रात्रि 8.30 बजे तक
लाभ : सायं 7.24 से 8.59 बजे तक
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