कार्तिक माह में सर्दी का मौसम शुरू होने के बाद बाबा महाकाल की दिनचर्या में भी परिवर्तन हो जाएगा। मंदिर में रोज होने वाली भगवान की आरती के समय में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा 21 अक्टूबर से परिवर्तन हो जाएगा। यह व्यवस्था कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा तक रहेगी।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष भगवान महाकाल की दिनचर्या में दो बार बदलाव होता है। मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होने पर कार्तिक माह व गर्मी का मौसम शुरू होने पर फाल्गुन मास में मंदिर में होने वाली बाबा महाकाल की आरतियों का समय बदलता है। वहीं भगवान को स्नान कराने की प्रक्रिया भी बदल जाती है। रूप चौदस से भगवान को गर्म जल से स्रान कराया जाता है। गर्मी व वर्षा ऋतु में मंदिर में होने वाली सुबह की दो आरती जल्दी व शाम की आरती देर से होती है।
21 अक्टूबर से यह रहेगा बाबा महाकाल की आरती का समय -
महाकाल की रोजाना सुबह से शाम तक छह आरती होती है। इसमें दो आरती भस्म आरती व शयन आरती के समय में बदलाव नहीं किया जाएगा। जबकि शेष चार आरती के समय में बदलाव किया जाएगा।
20 को शरद पूर्णिमा, महाकाल को लगेगा केसरिया दूध का भोग, श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बंटेगा -
शरद पूर्णिमा के अवसर पर जहां शहर के कई मंदिरों में उत्सव का आयोजन होगा। वहीं शरद पूर्णिमा पर 20 अक्टूबर को श्री महाकालेश्वर मंदिर में शरदोत्सव के तहत सुबह भस्म आरती में और शाम को 7 बजे भगवान महाकाल को केसरिया दूध का भोग लगाया जाएगा। भोग के बाद मंदिर में दर्शन को आने वाले दर्शनार्थियों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाएगा।
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