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कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम अंतर्गत आंवले का मूल्य संवर्धन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम रुलकी में किया गया। प्रशिक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. गायत्री वर्मा द्वारा 65 ग्रामीण महिलाओं को आंवले का औषधीय महत्व बताते हुए जानकारी दी।
आंवले की नित्य प्रयोग से पाचन, श्वसन तंत्र को संतुलित रखा जाकर वात, पित्त तथा कफ तीनों विकारों को दूर किया जा सकता है। इसमें विटामिन सी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। आंवला एकमात्र ऐसा फल है, जिसका सेवन ताजा, पकाकर, सुखाकर उबालकर किसी भी रूप में किया जा सकता है एवं उबालने पर भी इसका विटामिन सी पूरी तरह से नष्ट नहीं होता है।
इसके सेवन से खून की कमी, स्कर्वी रोग, पीलिया, लीवर संबंधी रोग, पेट से संबंधित बीमारियों, मधुमेह, जोड़ों के दर्द, आंखों की रोशनी बढ़ाना, चेहरे की कांति बढ़ाना, रक्त शुद्धता आदि सभी बीमारियों से निजात दिलाता है।
स्वराेजगार का बेहतर तरीका
आंवले के स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी घर बैठे महिलाएं सक्षम होकर स्वरोजगार प्राप्त कर सकती है। प्रशिक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्मा द्वारा आंवले के मूल्य संवर्धित विभिन्न उत्पाद जैसे आंवला, कैंडी, अचार, मुरब्बा, माउथ फ्रेशनर, आंवला स्क्वैश इत्यादि तैयार करने का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया। इससे महिलाएं स्वास्थ्यवर्धक आंवले के संवर्धित उत्पाद स्वयं सहायता समूह के माध्यम से तैयार करके बाजार में क्रय कर आर्थिक लाभ कमा सकती है।
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