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  • Kansa's Court Will Resonate In The Evening Due To The Gloom Of The Demons, Shri Krishna Will Defeat Kansa With A Single Punch As Soon As 12 O'clock In The Night.

कंस दशमी आज:दानवों के अट्टहास से आज शाम काे गूंजेगा कंस का दरबार, रात 12 बजते ही एक ही मुक्के से कंस के प्राण हरेंगे श्रीकृष्ण

शाजापुर2 वर्ष पहले
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कंस वधोत्सव के पहले तैयारियों में जुटे कलाकार। - Dainik Bhaskar
कंस वधोत्सव के पहले तैयारियों में जुटे कलाकार।

उत्तरप्रदेश के मथुरा के बाद कंस वध की ऐतिहासिक परंपरा का आयोजन 268 सालों से प्रदेश के शहर में भी किया जा रहा है। एक बार फिर शहर के कंस दरबार यानी सोमवारिया बाजार में आज दानवाें के अट्टहास गुजाएंगे तो भगवान कृष्ण की बांसुरी से निकली मधुर धुन अत्याचारी कंस के अंत का संदेश देगी। रात 8 बजे से शुरू होने कंस वधोत्सव के मंचन में 25-30 कालाकारों द्वारा वाक् युद्ध का मंचन किया जाएगा। रात 12 बजे भगवान कृष्ण और बलदाऊ की टोलियों द्वारा कंस के प्राण हरे जाएंगे।

ज्ञात रहे शहर की ऐतिहासिक परंपरा से स्थानीय कलाकारों को एक मंच मिला तो देशभर में शहर की पहचान भी बनी है। इस पूरे आयोजन में शहर के गवली समाज की भी अहम भूमिका रहती है। समाज के युवा मनोज गवली ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 268 सालों से हमारे वंशज इस परंपरा में भगवान कृष्ण की सेना के रूप में कंस वध के लिए सेना के रूप में लड़ने जाते हैं।

इस बार भी हमारी टोलियां कंस दरबार पहुंचकर अत्याचारी मामा को सबक सिखाएंगे। इधर, आयोजन को लेकर पूर्व और वर्तमान कलाकारों ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है। वजीरपुरा निवासी राजेश ने बताया कि वे बीते कई सालों से इस परंपरा का हिस्सा बन रहे हैं। इस बार भी वे कंस की सेना में शामिल होकर ऐतिहासिक परंपरा का निर्वाह करेंगे। लेकिन संक्रमण काल के दौरान परंपरा सिमटती जा रही है।

पूर्व कलाकार बोले- मंच को अलग स्थान दिया जाना चाहिए
उत्तरप्रदेश के बाद देशभर में शाजापुर के आयोजन की अलग पहचान है, लेकिन आयोजन को लेकर युवाओं की रुचि कम होने के साथ इस परंपरा को अलग स्थान देने की जरूर है। पूर्व कलाकार हेमंत व्यास ने बताया कि इसे धर्म और संस्कृति विभाग के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहिए। क्योंकि शाजापुर में होने वाले आयोजन के बाद ही इसे उज्जैन में भी मनाना शुरू किया गया। वहीं शासन स्तर पर भी विभिन्न मंचों से शाजापुर के कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी है। लोक गीतों की तरह यह लोक नाटिका क्षेत्र की पहचान है।

बैठक में तय- इस बार भी सांकेतिक आयोजन, जुलूस नहीं निकलेगा
कंस वधोत्सव के एक दिन पहले यानी शनिवार को कोतवाली पुलिस थाने में बैठक हुई। आयोजन समिति ने ही अपनी ओर से कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए आयोजन करने की बात रखी। समिति के तुलसीराम भावसार, अजय उदासी सहित अन्य सदस्यों ने बताया कि इस बार भी वाक् युद्ध सिर्फ कंस चौराहे पर ही होगा। जुलूस नहीं निकाला जाएगा।

परंपरा मंचन के लिए ओपन थिएटर अच्छा विकल्प
संक्रमण काल के दौरान लगातार सिमट रही इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए योजना बनाना भी जरूरी हो गया है। क्योंकि संकरे बाजार में दर्शकों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां कई बार हाचपाच की स्थिति बनती है। इससे शहर का कुछ वर्ग अब कटने लगा है। ऐसे में इस परंपरा के मंचन के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के पास चीलर नदी किनारे बने ओपन थिएटर इसके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।