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मॉडल एक्ट का विरोध करते हुए मंडी को जिंदा रखने के लिए व्यापारियों ने हड़ताल शुरू कर दी थी। इसके बाद शासन ने तीन माह मंडी का शुल्क कम करते हुए एक प्रयोग किया था। इस प्रयोग में 14 नवंबर से लेकर 14 फरवरी तक मंडी का शुल्क घटाते हुए 1.50 रुपए की बजाए 50 पैसे कर दिया।
मंडी कर्मचारी मुकेश विश्वकर्मा ने बताया इस अवधि में मंडी की आवक ताे 190 प्रतिशत तक बढ़ गई पर 50 पैसे रेवेन्यू के हिसाब से 99 लाख 21 हजार 109 रुपए प्राप्त हुए। अगर यही शुल्क डेढ़ रुपया रहता तो मंडी को रेवेन्यू 2 करोड़ 97 लाख 63 हजार 327 रुपए मिलते। इस तरह से 50 पैसे शुरू करने पर मंडी को 1 करोड़ 98 लाख 42 हजार 218 रुपए कम प्राप्त हुए हैं। 15 फरवरी से मंडी में नीलामी में उपज रखने वाले व्यापारियों पर मंडी शुल्क 1.50 पैसे कर दिया गया है।
मंडी कर्मचारी अनिल जैन ने बताया कि 14 नवंबर से लेकर 14 फरवरी तक 6 लाख 14 हजार 702 क्विंटल मंडी में किसान अपनी उपज नीलामी के लिए लाए। इसमें अनाज मंडी की जींस सोयाबीन, गेहूं, रायड़ा, चना, दाल और सब्जी मंडी की जींस, प्याज, लहसुन, आलू की आवक शामिल है। इसमें अनाज मंडी में प्रतिदिन औसत आवक दाे से ढाई हजार तक क्विंटल तक रही। जबकि पिछले साल 2 लाख 11 हजार 956 क्विंटल आवक नीलामी के लिए आई थी।
तो रिकॉर्ड बनते बनते रह गया
मंडी लेखपाल अशोक जोशी ने बताया कि 1 अप्रैल 20 से लेकर 31 जनवरी 21 तक जिले की अनाज और सब्जी मंडी में कुल रेवेन्यू 4 करोड़ 39 लाख 40 हजार 460 प्राप्त हुई। इसमें एक करोड़ 98 लाख 42 हजार 218 रुपए मंडी का शुल्क 50 पैसे करने पर नुकसान हुआ है। अगर दोनों का योग जोड़ दिया जाए तो इस बार रेवेन्यू प्राप्त करने का रिकॉर्ड हमारे शहर की मंडियां बना देती जो 6 करोड़ 37 लाख 82 हजार 678 होता है।
सैलरी देने में दिक्कत नहीं आई
मंडी सचिव डीसी राजपूत ने बताया कि मंडी टैक्स 50 पैसे करने पर सबसे बड़ी दिक्कत कर्मचारियों को वेतन देने में थी। लेकिन अच्छी आवक से सैलरी देने में कोई परेशानी नहीं आईं। फिर से मंडी का शुल्क 1 रुपए 50 पैसे कर दिया गया है।
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