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भास्कर संवाददाता | शाजापुर किसी ने यह नहीं सोचा था कि मलखंभ का प्राचीन खेल शहर के बच्चों की धड़कन बन जाएगा और उनके पालक भी इसमें रुचि दिखाकर बच्चों को माहिर बनाने के लिए कोच के पास पहुंचाने खुद आ रहे हैं। यह बात द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त योगेश मालवीय ने कही। वे बताते हैं कि उन्होंने 12 साल की मेहनत से 80 बेहतरीन खिलाड़ी बनाए थे, लेकिन बाद में 100 और इसके बाद 200 खिलाड़ी हो गए। इनकी संख्या जनवरी में अब 300 खिलाड़ी के पार होने वाली है। क्योंकि आने वाले 100 से ज्यादा खिलाड़ी के पालक ही खेल में रुचि दिखाकर अपने बच्चों को पारंगत खिलाड़ी बनाने की इच्छा जाहिर की। इस खेल का पालक और बच्चों में क्रेज इतना है कि ठंड में भी खुद पालक भी सुबह की ट्रेनिंग में आकर अपने बच्चों के साथ इस खेल की बारीकी से जानकारियां सीख रहे हैं। अच्छी बात यह भी है इस खेल में लड़के व लड़कियाें की बराबरी की भागीदारी है। सुबह-शाम ले रहे कोचिंग खेल एवं युवा कल्याण विभाग के कोच मालवीय ने कहा कि दो समय इन बच्चों की प्रैक्टिस करवा रहे हैं। इसमें 4 से 27 वर्ष तक के खिलाड़ी शामिल हैं। सुबह का सेशन 8 से 10 बजे तक चलता है तो शाम का 4 से 6 और सीनियर खिलाड़ियों के लिए समय शाम 7.30 बजे तक रहता है। इसमें रूप और पोल मलखंभ के लिए खिलाड़ियों का अभ्यास करवाया जा रहा है।
सहायक भी पड़ रहे हैं कम वर्तमान में मलखंभ की कोचिंग देने वाले मालवीय के पास दो राष्ट्रीय सीनियर खिलाड़ी असिस्टेंट बनकर काम कर रहे हैं। इनकी सेवा भी बच्चे की ज्यादा बढ़ने से कम पड़ रही है, क्योंकि बच्चे पोल पर 1.30 मिनट का परफॉर्मेंस देते हैं, लेकिन प्रैक्टिस में 5 से 6 मिनट अभ्यास करना पड़ता है। इसमें पोल में कोई सपोर्ट नहीं होता, इसलिए एक खिलाड़ी को नीचे सपोर्ट रखना पड़ता है। पोल 8.5 फीट का होता है। इसी प्रकार रोप मलखंभ 15 फीट की रस्सी पर किया जाता है। इसके लिए भी सपोर्ट होना जरूरी है। वर्तमान में मालवीय के पास राष्ट्रीय खिलाड़ी लोकेश नायक और गौरव वर्मा हैं, जो सहयाेग कर रहे हैं।
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