खरीफ फसलों की बोवनी शुरू हाे चुकी है। इसके बाद भी बीज निगम और कृषि विभाग के पास सोयाबीन का प्रमाणित बीज उपलब्ध नहीं है। किसान सोयाबीन का प्रमाणित बीज खरीदने के लिए चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें बीज उपलब्ध नहीं हो रहा है। बाजार में जो बीज मिल रहा है, वह अमानक स्तर का है। अमानक बीज भी 10 हजार रुपए क्विंटल तक बिक रहा है।
अमानक बीज के उगने की कोई गारंटी नहीं रहती है। ऐसे में किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किसानों की चिंता यह है कि समय पर बीज नहीं मिला तो आखिर खरीफ फसलों की बोवनी कैसे करेंगे। खरीफ सीजन के लिए करीब 70 हजार टन यूरिया और डीएपी खाद की जरूरत है।
अभी किस खाद की जरूरत
कृषि विभाग के सहायक संचालक एनपी प्रजापति का कहना है कि दलहन और तिलहन वाले खेतों के लिए यूरिया की ज्यादा जरूरत होती है। इससे पौधों में चमक आती है। इसी तरह धान, दलहन और तिलहन के लिए डीएपी ज्यादा उपयोगी होती है। इससे पौधों का अंकुरण अच्छा होता है। धान वाले खेतों में बोवनी और उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए एनपीके यानी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की ज्यादा जरूरत होती है। इसी तरह सुपर फास्फेट का उपयोग भी धान वाले खेतों में उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।
एनएफएसएम योजना भी फेल
किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने बीज ग्राम योजना और नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन योजना लागू की है। लेकिन इन दोनों योजनाओं का लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। बीज ग्राम योजना में कुछ चुनिंदा किसानों को प्रमाणित बीज बनाकर किसानों को दिया जाता है ताकि अगली बार वे 10 अन्य किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाएं।
लेकिन वास्तव में ऐसा हो नहीं रहा है। किसानों का कहना है कि हमें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इसी तरह नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन के तहत कृषि विभाग द्वारा कुछ चुनिंदा किसानों को डिमांस्ट्रेशन के लिए 75 किलो प्रति हेक्टेयर बीज उपलब्ध करवाया जाता है।
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