अटारी बॉर्डर पर ढाई महीने से फंसे पाकिस्तान के 99 लोगों में से 93 नागरिकों को सरहद पार भेज दिया गया है, लेकिन नवजन्मे बच्चे 'बॉर्डर' के कारण उसका पूरा परिवार सरहद पार नहीं जा पाया। दरअसल, बॉर्डर नवजन्मा है और उसका अभी तक पासपोर्ट नहीं बना। जैसे ही बॉर्डर का पाकिस्तानी पासपोर्ट बन जाएगा, उसे स्पेशल परमिशन के बाद परिवार सहित पाकिस्तान भेज दिया जाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना काल से पहले अपने रिश्तेदारों को मिलने और हिंदू मंदिरों के दर्शन के लिए 99 हिंदुओं का एक दल भारत पहुंचा था। यह सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं, लेकिन वीजा की अवधि खत्म होने और जरूरी दस्तावेजों की कमी के कारण वापस अपने देश नहीं जा पा रहे थे। इसी कारण ढाई महीने से भारत-पाकिस्तान को जोड़ने वाले अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर पर डेरा लगाए बैठे थे।
इसी बीच पाकिस्तान के रहमिया गांव राजनपुरा निवासी बालम राम और निब्बू के घर 2 दिसंबर को इस दल के 100वें सदस्य ने जन्म लिया। सरहद के पास हुए इस बच्चे का नाम बालम राम और निब्बू ने 'बॉर्डर' रख दिया।
पासपोर्ट बनवाना जरूरी
परमिशन मिलने के बाद 93 लोगों को तो पाकिस्तान जाने दिया, लेकिन बॉर्डर सहित 7 लोग भारत में ही रह गए। दरअसल, बॉर्डर पार करने के लिए नवजन्मे बॉर्डर को पाकिस्तानी पासपोर्ट की जरूरत है, जिसके चलते बॉर्डर तो सरहद पार नहीं कर पाया। उसके साथ पिता बालम राम, मां निब्बू और 4 भाई-बहन भी यहीं रुकना पड़ा।
चार महीने पहले भोजा के परिवार को भी रुकना पड़ा था
नवजन्मे बच्चे के कारण पूरे परिवार के भारत रुकने का यह पहला मामला नहीं है। पाकिस्तान से यहां आकर फंसने वाले कई हिंदू परिवारों के साथ पहले भी ऐसा होता आया है। चार महीने पहले ही पाकिस्तान के सिंध प्रांत के भोजा और उसकी पत्नी ने एक बच्ची को गुजरात में जन्म दिया था, जिसका नाम उन्होंने भारती रखा था। पासपोर्ट न बनने के कारण वे सभी काफी समय तक पाकिस्तान नहीं जा पाए थे। अंत में एक पाकिस्तानी परिवार ने उनकी मदद की और भारती का पासपोर्ट बनाया गया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.