पूरा भारत ने सोमवार को आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को सेलिब्रेट किया। भारत-पाक सीमा पर अटारी बॉर्डर भी इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना। अटारी बॉर्डर पर सोमवार शाम को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में दर्शकों के साथ-साथ BSF जवानों का जोश भी देखने लायक रहा। परेड में BSF जवानों की शानदार कदमताल देखकर स्वर्ण द्वार गैलरी में मौजूद 50 हजार लोग भी देशभक्ति के रंग में रंग गए। इस दौरान पूरी गैलरी हिंदुस्तान जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारों से गूंजती रही।
भारतीय दर्शकों से मिले हौसले के बीच परेड में BSF जवानों ने चौड़े सीने और कंधे के ऊपर तक लहराती टांगों के साथ पाकिस्तानी रेंजर्स के सामने शौर्य का प्रदर्शन किया।
स्वर्ण द्वार गैलरी में आज खड़े होने की भी जगह नहीं
BSF के डॉयरेक्टर जनरल पंकज कुमार सिंह खुद अटारी बॉर्डर पर इस रिट्रीट को देखने पहुंचे। उन्होंने आते ही अपने जवानों का उत्साह बढ़ाया। BSF जवानों का हौसला देखकर गैलरी में मौजूद दर्शक भी रोमांचित हो उठे।
अटारी बॉर्डर पर बीटिंग द रिट्रीट देखने के लिए BSF की ओर से बनाई गई स्वर्ण द्वार गैलरी में 35 हजार लोगों के बैठने की जगह है। सोमवार को यह गैलरी इतनी खचाखच भरी थी कि वहां पैर तक रखने की जगह नहीं थी। पूरे देश से लोग 75वां अमृत महोत्सव मनाने अटारी सीमा पहुंचे। एक अनुमान के अनुसार सोमवार को तकरीबन 50 हजार लोग रिट्रीट देखने पहुंचे।
लहराते तिरंगों के साथ देशभक्ति के गीत
अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट देखने पहुंचे तमाम लोगों ने हाथों में तिरंगा ले रखा था। स्वर्ण द्वार गैलरी में हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा नजर आ रहा था। इस दौरान BSF के बैंड के अलावा बॉर्डर पर गूंजते देशभक्ति के गीतों ने दर्शकों का उत्साह कई गुना बढ़ा दिया। परेड के दौरान BSF के जवानों ने जब-जब पाकिस्तानी रेंजर्स की आंखों में आंखें डालकर उनकी भाव-भंगिमाओं का जवाब दिया, तब-तब भारतीय दर्शकों ने देशभक्ति के नारे लगाकर उनका उत्साह बढ़ाया।
सबसे पहले सेना ने संभाली थी सुरक्षा की जिम्मेदारी
1947 में देश के आजाद होने और पाकिस्तान बनने के बाद चेक पोस्ट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना ने ही संभाली थी। शुरुआत में यहां कुमाऊं रेजीमेंट को तैनात किया गया। अटारी सीमा पर पहला ध्वजारोहण कार्यक्रम ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा की देखरेख में 11 अक्टूबर 1947 को हुआ था। अमृतसर के तत्कालीन DC नरिंदर सिंह और SP अटारी चौधरी राम सिंह ने उस समय ज्वॉइंट चेक पोस्ट की स्थापना में साथ दिया।
1950 में पंजाब पुलिस को और 1965 में BSF को मिली जिम्मेदारी 1950 के मध्य में इस इलाके को पंजाब पुलिस ने टेकओवर कर लिया। 1959 में यहां पहली रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया गया। 1 दिसंबर 1965 को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) का गठन किया गया तो जिम्मेदारी अपने हाथ ले ली। तभी से रिट्रीट सेरेमनी हर रोज होती आ रही है। इस सेरेमनी को 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान कुछ वक्त के लिए रोका गया था।
सेना और पुलिस ही करती थी पहले बॉर्डर की निगरानी
1965 के अप्रैल महीने में पाकिस्तान अपनी नीच हरकतों पर उतर आया था। गुजरात के भुज शहर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कच्छ के रण में 9 अप्रैल, 1965 की अलसुबह 3 बजे पाकिस्तान ने भारत की दो चौकियों पर हमला कर दिया। उस समय उक्त क्षेत्र में सीमा की रक्षा CRPF और गुजरात की राज्य पुलिस कर रही थी। युद्ध तकरीबन 15 घंटे चला। पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए और 4 सैनिक युद्ध बंदी बना लिए गए। इसके बाद इंदिरा गांधी ने सीमाओं की रक्षा के लिए BSF का गठन करने का ऐलान कर दिया। केएफ रुस्तमजी सीमा सुरक्षा बल के पहले डायरेक्टर जनरल थे।
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